Lok Sabha Election 2024 : बशीरहाट में कभी था यह कम्युनिस्टों का गढ़, अब माना जाता है तृणमूल का किला

Lok Sabha Election 2024 : एक वक्त था जब बशीरहाट कम्युनिस्टों के मजबूत किले के तौर पर देखा जाता था, लेकिन अब इसे तृणमूल का मजबूत स्तंभ माना जाता है. हाल ही में हिंसा और जन आक्रोश के चलते देशभर में मशहूर हुआ संदेशखाली इसी लोकसभा क्षेत्र में है.

By Shinki Singh | March 13, 2024 1:25 PM
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Lok Sabha Election 2024 : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित बशीरहाट कभी कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता था. हालांकि हालिया स्थिति पर नजर डालें तो तृणमूल (Trinamool) ने यहां अपनी स्थिति काफी मजबूत बना ली है. 1952 में हुए पहले चुनाव में भाकपा के रेनू चक्रवर्ती ने जीत हासिल की थी. हालांकि यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और कालांतर में बांग्ला कांग्रेस ने भी अपना दबदबा दिखाया था. लेकिन इसके बाद भाकपा के इंद्रजीत गुप्ता और फिर अजय चक्रवर्ती की लगातार जीत की वजह से यहां कम्युनिस्टों का वर्चस्व कायम हो गया था.

बशीरहाट में 1980 और 1985 में इंद्रजीत गुप्ता ने जीत दर्ज की

1980 और फिर 1985 में इंद्रजीत गुप्ता ने यहां से जीत दर्ज की थी. बीच में भाकपा के ही मनोरंजन सूर यहां से दो बार सांसद बने. इसके बाद 1996 से भाकपा के अजय चक्रवर्ती का विजय रथ चला. 1996 के चुनाव से लेकर 2004 के आम चुनाव तक उन्हें ही लगातार जीत मिलती रही. 2009 में राज्य की राजनीति में परिवर्तन होना शुरू हो गया था. 2009 में हाजी नुरूल इस्लाम यहां से तृणमूल के टिकट पर विजयी हुए.

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2019 में तृणमूल ने अभिनेत्री नुसरत जहां को चुनाव मैदान में उतारा

हालांकि इसके बाद पश्चिम बंगाल में सत्ता परिवर्तन के पश्चात 2014 में इदरीस अली को तृणमूल का टिकट मिला और उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई. 2019 में तृणमूल ने उनकी जगह अभिनेत्री नुसरत जहां को चुनाव मैदान में उतारा. नुसरत ने भी यहां शानदार जीत दर्ज की. 2009 में नुरुल इस्लाम को चार लाख 79 हजार 747 वोट यानी 45.92 फीसदी वोट मिले और उन्होंने भाकपा के अजय चक्रवर्ती को करीब 60 हजार वोटों से हराया था. इदरीस अली ने 2014 के चुनाव में भाकपा के नुरुल शेख को करीब एक लाख 10 हजार वोटों से परास्त किया था. इदरीस अली को 38.65 फीसदी वोट मिले थे, जबकि नुरुल शेख को 30.04 फीसदी वोट मिले.

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मुस्लिम बहुल आबादी का क्षेत्र है बशीरहाट
कहा जाता है कि बांग्लादेश के साथ पश्चिम बंगाल की जो 2217 किलोमीटर की लंबी सीमा है उसमें बशीरहाट को अन्यतम सर्वाधिक छिद्रपूर्ण माना जाता है. यानी बांग्लादेशी घुसपैठ का आरोप यहां कई बार लगता रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक बशीरहाट में 54 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं.

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