एक ही रिपोर्ट कार्ड में होंगे पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के अंक

राज्य के स्कूलों में इसी शैक्षणिक वर्ष से नयी व्यवस्था शुरू की पहल की जा रही है. इसके तहत छात्रों के एक ही रिपोर्ट कार्ड में कक्षा एक से आठवीं तक के अंक होंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 13, 2024 1:05 AM

राज्य के स्कूलों में नयी व्यवस्था शुरू करने की पहल

संवाददाता, कोलकाताराज्य के स्कूलों में इसी शैक्षणिक वर्ष से नयी व्यवस्था शुरू की पहल की जा रही है. इसके तहत छात्रों के एक ही रिपोर्ट कार्ड में कक्षा एक से आठवीं तक के अंक होंगे. इस एक रिपोर्ट कार्ड के जरिये ही कक्षा एक से आठवीं तक की मार्कशीट का मूल्यांकन किया जायेगा. यानी किसी छात्र ने पहली से आठवीं कक्षा तक की परीक्षा में कितने अंक प्राप्त किये हैं, यह इस रिपोर्ट कार्ड में देखा जा सकता है. इसके माध्यम से विद्यार्थी की उन्नति या समीक्षा को भली-भांति समझा जा सकता है. समग्र प्रगति रिपोर्ट कार्ड से छात्रों का सही ढंग से मूल्यांकन किया जा सकेगा. इस बाबत राज्य स्कूली शिक्षा के आयुक्त की ओर से पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष को पत्र भेजा गया है.

प्रत्येक छात्र का विशेष रिपोर्ट कार्ड बनाने का निर्देश

सभी स्कूलों को इस शैक्षणिक वर्ष में प्रत्येक छात्र द्वारा प्राप्त अंकों को एक विशिष्ट रिपोर्ट कार्ड में दर्ज करने के लिए कहा गया है. इस रिपोर्ट कार्ड का सबसे अच्छा पहलू यह है कि किस कक्षा में किसी छात्र ने कितना सुधार किया है या वह पढ़ाई में कितना पीछे है, इसका पता लगाया जा सकता है. वर्तमान में रिपोर्ट कार्ड में एक छात्र द्वारा एक ही कक्षा में प्राप्त किये गये अंकों की संख्या अंकित होती है. कई लोग इस रिपोर्ट कार्ड को संभाल कर रखते हैं, तो कई इसे खो भी देते हैं. इस बार एक ही रिपोर्ट कार्ड होगा, जिससे पता चल जायेगा कि छात्र को पिछली कक्षाओं में कितने अंक मिले थे. रिपोर्ट कार्ड देख कर किसी एक विषय में छात्र की प्रगति या गिरावट का अंदाजा भी लगाया जा सकेगा.

पहल सराहनीय, पर आड़े आ रहीं कई समस्याएं : शिक्षाविद्

एक्य मंच के महासचिव किंकर अधिकारी ने कहा कि यह पहल काफी सराहनीय है. इसके माध्यम से विद्यार्थियों को विषय का समग्र ज्ञान प्राप्त होगा. छात्रों का सही मूल्यांकन किया जा सकेगा. कमजोर छात्रों पर ज्यादा फोकस किया जायेगा. वहीं, कुछ शिक्षकों की शिकायत है कि स्कूलों में जो बुनियादी ढांचा है, उसमें इन्हें लागू करने से नयी समस्या हो सकती है. अगर स्कूल में विकसित बुनियादी ढांचा, पर्याप्त संख्या में शिक्षक, शैक्षणिक कर्मचारी नहीं होंगे, तो इस व्यवस्था को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करना संभव नहीं होगा. प्रदेश भर में प्राथमिक विद्यालयों और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की खराब हालत जगजाहिर है. कोई भी नयी व्यवस्था शुरू करने से पहले यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कई स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं.

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