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केएनयू में तृणमूल कांग्रेस के एक छात्र संगठन के आंदोलन को दूसरे की चुनौती

बीते हफ्तेभर से तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) की ओर से काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) और कुलपति (वीसी) पर विश्वविद्यालय के फंड को निजी विवादों के निपटारे के लिए कोर्ट केस में खर्च करने का आरोप लगाया गया है.

आसनसोल.

बीते हफ्तेभर से तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) की ओर से काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) में धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) और कुलपति (वीसी) पर विश्वविद्यालय के फंड को निजी विवादों के निपटारे के लिए कोर्ट केस में खर्च करने का आरोप लगाया गया है. इसको लेकर तृणमूल छात्र परिषद ने विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव के चेंबर में ताला जड़ दिया था. मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस समर्थित सारा बांग्ला शिक्षा बंधु समिति ने भी केएनयू में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. इससे टीएमसीपी के बीते सात दिनों से जारी आंदोलन पर सवालिया निशान लग गया है. सारा बांग्ला शिक्षा बंधु समिति के अधिकारियों ने भी कुलपति व कुलसचिव के चेंबरों में अपना ताला जड़ दिया है. सारा बांग्ला शिक्षा बंधु समिति के संयुक्त सचिव देवाशीष बनर्जी की शिकायत है कि कुछ बाहरी लोगों को बुला कर विश्वविद्यालय परिसर में पठन-पाठन का माहौल बर्बाद किया जा रहा है. बाहरी लोगों ने ही कुलपति व रजिस्ट्रार के चेंबरों में ताला जड़ा है. आरोप लगाया कि आंदोलनकारियों ने रजिस्ट्रार व महिला फिनांस अफसर पर हमला किया. उनके साथ बदसलूकी की. इसकी तीखी निंदा करते हुए कहा कि ऐसे में जब काजी नज़रुल विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से विश्वविद्यालय के विकास के लिए कदम उठाये जा रहे हैं, विश्वविद्यालय में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में टीएमसीपी के आंदोलन से यहां पढ़ाई-लिखाई का माहौल खराब हो रहा है. यह काम कोई छात्र संगठन नहीं कर सकता. देवाशीष बनर्जी ने साफ कहा कि भले आंदोलनरत विद्यार्थी तृणमूल की छात्र इकाई से जुड़े हों. लेकिन यहां किसी के जीवन से ना तो खिलवाड़ करने दिया जायेगा – ना ही इसका समर्थन किया जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि केएनयू, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मंत्री मलय घटक के सपनों का विश्वविद्यालय है. इसे कुछ लोगों के निहित स्वार्थ व मतलब के चलते बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा. इस संबंध में देवाशीष बनर्जी ने प्रशासन के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों को जानकारी दी है. विद्यार्थियों को आंदोलन करने का अधिकार जरूर है.

लेकिन किस अधिकार से सरकारी विश्वविद्यालय के चेंबर में ताला जड़ दिया गया. जब तक विश्वविद्यालय में ऐसी अराजक स्थिति बनी रहेगी, तब तक उनके संगठन का आंदोलन जारी रहेगा. उधर, इस संबंद में पश्चिम बर्दवान जिला के तृणमूल छात्र परिषद के अध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने कहा कि बाहरी किसे कहा जा रहा है. अगर कोई छात्रों की जायज मांग का समर्थन करने के लिए आंदोलन का समर्थन करता है, तो वो बाहरी कैसे हो सकता है. इसके अलावा विद्यार्थी यहां किसी नाजायज मांग का समर्थन नहीं कर रहे हैं. वे लोग सिर्फ इतना जानना चाहते हैं कि उनकी दी गयी फीस के रुपये को विश्वविद्यालय के अधिकारी अपने कोर्ट केस में कैसे खर्च कर सकते हैं. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और वाइस चांसलर के चेंबर में जो ताला जड़ा गया है, उसकी चाबी बिल्कुल नहीं लौटाई जायेगी. उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक विश्वविद्यालय की ओर से कोर्ट केस में कितने रुपये खर्च किये गये, इस पर श्वेतपत्र नहीं जारी किया जाता.

उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया चल रही है लेकिन इसमें कोई बाधा नहीं डाली जा रही है. एडमिशन की प्रक्रिया दूसरी बिल्डिंग में होती है. इसलिए उनके आंदोलन की वजह से एडमिशन की प्रक्रिया बाधित होने की कोई बात ही नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने इन आरोपों को भी खारिज कर दिया. जिसमें कहा जा रहा था कि उन्होंने विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ गलत हरकत की है. उनका साफ कहना था कि वह तो विश्वविद्यालय के किसी अधिकारी या कर्मचारी से बात भी नहीं करना चाहते है. उनको सिर्फ और सिर्फ वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार से बात करनी है. ऐसे में उनके संगठन के किसी कार्यकर्ता या नेता द्वारा किसी अधिकारी से बदसलूकी करने का सवाल ही खड़ा नहीं होता है.

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