धरना मंच तोड़े जाने पर आदिवासियों का प्रदर्शन
आदिवासी संगठन ‘दिशम आदिवासी गांवता’ तथा ‘फाइट फॉर मदर टंग’ के सदस्यों ने रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के मुख्य द्वार पर अनशन स्थल के सामने सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. दीशम आदिवासी गांवता के राज्य पर्यवेक्षक भवन मांडी ने कहा कि पिछले सात दिनों से चल रहे अनशन के मंच को किसी ने तोड़ दिया है.
रानीगंज.
आदिवासी संगठन ‘दिशम आदिवासी गांवता’ तथा ‘फाइट फॉर मदर टंग’ के सदस्यों ने रानीगंज त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के मुख्य द्वार पर अनशन स्थल के सामने सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. दीशम आदिवासी गांवता के राज्य पर्यवेक्षक भवन मांडी ने कहा कि पिछले सात दिनों से चल रहे अनशन के मंच को किसी ने तोड़ दिया है. बुधवार को मोहर्रम की वजह से उनका अनशन कार्यक्रम स्थगित था, लेकिन उनके धरना मंच को तोड़े जाने की खबर मिलते ही उन्होंने धरना मंच के सामने धरना देना शुरू कर दिया है. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उनके अनशन को गलत तरीके से खत्म करने के लिए आपराधिक गिरोह यह किया गया है. वहीं इस घटना के बाद मंच तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. उन्होंने कहा कि अपराधियों को अगर तत्काल गिरफ्तार नहीं किया गया तो आदिवासी संगठन की ओर से पूरे राज्य में गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. वहीं रानीगंज के पंजाबी मोड़ से अनशन स्थल, कॉलेज गेट तक आदिवासी, पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र लेकर जुलूस निकालेंगे.मातृभाषा में शिक्षा की है मांग
उल्लेखनीय है कि गत 27 जून को आदिवासी दिशम गांवता के सदस्यों और 40 से अधिक आदिवासी संगठनों ने विरोध कार्यक्रम आयोजित करने और कॉलेज गेट पर धरने पर बैठने की चेतावनी दी थी. उनकी मांग थी कि रानीगंज के त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज में संताली भाषा और ओलचिकी लिपि में स्नातक स्तर पर पढ़ायी की व्यवस्था की जाये. अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार की मांग को लेकर उनका आंदोलन जारी था. हालांकि आंदोलन के दूसरे दिन त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज के प्रबंधकीय समिति के अध्यक्ष और रानीगंज के विधायक तापस बंद्योपाध्याय ने दावा किया कि चूंकि कॉलेज में सारी घटनाएं उनकी जानकारी के बिना हुईं, इसलिए वह इसके लिए कदम उठायेंगे. आदिवासियों की मांग है कि कॉलेज अधिकारियों को संताली भाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए उपाय करने चाहिए और वे उस मांग पर अपना आंदोलन जारी रखेंगे. इस बार उस आंदोलन के मद्देनजर यह शिकायत आयी कि उन्होंने अनशन का जो मंच तैयार किया था, उसे ध्वस्त कर दिया गया. शिकायत मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और आदिवासी संगठन के सदस्यों से बातचीत कर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की.इस बारे में संजय हेमब्रम ने बताया कि गत आठ जुलाई से विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा कॉलेज में संताली भाषा और ओलचिकी लिपि में स्नातक स्तर पर पढ़ायी शुरू करने की मांग पर अनशन किया जा रहा है. बुधवार को मोहर्रम को देखते हुए अनशन नहीं किया जा रहा था लेकिन इसका फायदा उठाकर किसी ने मंच को तोड़ दिया. उन्होंने कहा कि अगर इस कार्य के साथ प्रशासन या कॉलेज या प्रबंधन लिप्त है तो आदिवासी संगठनों का यह विरोध प्रदर्शन और ज्यादा तीव्र होगा.
आज होगा प्रतिवाद आंदोलन
आदिवासी संगठन की ओर से कहा गया कि गुरुवार को पंजाबी मोड़ से कॉलेज तक आदिवासियों की जो रैली निकाली जायेगी उसमें सभी जिलों से आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक अस्त्र शस्त्र के साथ आयेंगे और कॉलेज प्रबंधन और प्रशासन को आदिवासियों की असली ताकत का पता चलेगा.वहीं आंदोलनकारी का नेतृत्व दे रहे भूवन मांडी ने भी अनशन मंच को तोड़े जाने का तीव्र विरोध किया. वह रास्ते पर ही अपने समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन पर बैठ गये. पुलिस द्वारा उन्हें काफी देर तक समझाने की कोशिश की गयी. लेकिन वह अपनी इस बात पर अड़े रहे कि जिसने यह कार्य किया है उसे पहले चिह्नित किया जाये. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग शांतिपूर्ण तरीके से अपने संवैधानिक शिक्षा के अधिकार को हासिल करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से उनके अनशन मंच को तोड़ दिया गया वह नाकाबिलेबर्दाश्त है और जब तक दोषियों को चिह्नित करके गिरफ्तार नहीं किया जाता. उनका आंदोलन जारी रहेगा.
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