लोस चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहे अल्पसंख्यक

राजनीतिक विश्लेषकों ने बुधवार को कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने बंगाल के दक्षिणी क्षेत्र में मुस्लिम बहुल इलाकों में तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत दिलाने में मदद की.

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2024 1:02 AM

एजेंसियां, कोलकाता

राजनीतिक विश्लेषकों ने बुधवार को कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने बंगाल के दक्षिणी क्षेत्र में मुस्लिम बहुल इलाकों में तृणमूल कांग्रेस को शानदार जीत दिलाने में मदद की, जबकि उनके मतों के विभाजन की वजह से राज्य के उत्तरी हिस्से में भाजपा को जीत हासिल करने में मदद मिली. राज्य में अल्पसंख्यक मतदाता लगभग 30 प्रतिशत हैं, जिनका प्रभाव 16-18 लोकसभा सीट तक फैला हुआ है. इससे वे सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं.

उत्तर और दक्षिण बंगाल, दोनों में रायगंज, कूचबिहार, बालुरघाट, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, मुर्शिदाबाद, डायमंड हार्बर, उलबेड़िया, हावड़ा, बीरभूम, कांथी, तमलुक, मथुरापुर, बशीरहाट और जयनगर जैसे संसदीय क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी काफी है.

परिणामों पर एक विश्लेषक ने कहा कि वाम-कांग्रेस गठबंधन और तृणमूल कांग्रेस के बीच अल्पसंख्यक मतों के विभाजन के चलते भाजपा बालुरघाट, रायगंज और मालदा उत्तर सीट को बरकरार रखने में सफल रही. राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा : दक्षिण बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने उम्मीद के मुताबिक अल्पसंख्यक क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन उत्तर बंगाल की कुछ सीट पर पार्टी को अल्पसंख्यक मतों के एक बड़े हिस्से के लिए वाम-कांग्रेस गठबंधन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा. उत्तर बंगाल में तीन सीट पर वाम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों को भाजपा उम्मीदवारों की जीत के अंतर से अधिक वोट मिले. मंगलवार को घोषित चुनाव परिणामों के अनुसार, रायगंज में भाजपा के कार्तिक चंद्र पाल को 5,60,897 वोट मिले और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी और तृणमूल कांग्रेस के कृष्णा कल्याणी को 4,92,700 वोट मिले. पाल 68,197 मतों के अंतर से जीते. वाम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार अली इमरान रम्ज को 2,63,273 वोट मिले. बालुरघाट में भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष व उम्मीदवार सुकांत मजूमदार को 5,74,996 वोट मिले, जबकि तृणमूल कांग्रेस के बिप्लव मित्रा को 5,64,610 वोट मिले. मतों का अंतर 10,386 रहा. वाम-कांग्रेस उम्मीदवार जयदेव सिद्धांत को 54,217 वोट मिले. भाजपा के खगेन मुर्मू ने तृणमूल कांग्रेस के प्रसून बनर्जी को हराकर 77,708 मतों के अंतर से मालदा उत्तर सीट बरकरार रखी. इस क्षेत्र में वाम-कांग्रेस गठबंधन को 3,84,764 वोट मिले.

मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि वाम-कांग्रेस गठबंधन ने उत्तर बंगाल में तीन सीट जीतने में भाजपा की मदद की. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस कूचबिहार सीट भाजपा से छीनने में कामयाब रही. तृणमूल कांग्रेस के लिए ‘सोने पर सुहागा’ यह रहा कि उसने पांच बार सांसद रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से बहरमपुर लोकसभा सीट छीन ली. ””कांग्रेस के कथित किले”” के मतदाताओं ने चौधरी को खारिज कर दिया और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार व पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को 85 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत दिलायी. तमलुक और कांथी लोकसभा सीट को छोड़ कर सत्तारूढ़ पार्टी ने दक्षिण बंगाल की विभिन्न अल्पसंख्यक बहुल सीट पर जीत हासिल की, जहां अल्पसंख्यकों ने भाजपा की बढ़त को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस को वोट दिया.

अल्पसंख्यक नेताओं के अनुसार, पश्चिम बंगाल में कई सीट पर निर्णायक की भूमिका निभाने वाले मुस्लिमों का झुकाव ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की ओर था, जिसे उन्होंने वाम-कांग्रेस गठबंधन के विपरीत एक विश्वसनीय ताकत के रूप में देखा. इंडियन सेकुलर फ्रंट (आइएसएफ) द्वारा अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय किये जाने से वामपंथियों व कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यक मतदाताओं को लुभाने के प्रयास और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गये, खासकर तब जब भाजपा ने राम मंदिर और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे विभिन्न ध्रुवीकरण मुद्दों का फायदा उठाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. मुर्शिदाबाद सीट से हारने वाले माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा : अगर आइएसएफ हमारे साथ होता, तो बेहतर होता. बता दें कि कश्मीर और असम के बाद पश्चिम बंगाल में देश में मुस्लिम मतदाताओं की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है.

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