एक प्रकार की चिकित्सा है संगीत : मुनि जिनेश कुमार
धार्मिक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन
हावड़ा. आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनि जिनेश कुमार के सान्निध्य एवं दक्षिण हावड़ा तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में धार्मिक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन प्रेक्षा विहार में हुआ. इसमें 32 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया. इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार ने कहा कि भारतीय साधना पद्धति में संगीत का विशेष स्थान है. संगीत रस है. वेद है. संगीत में ताकत है. संगीत के माध्यम से अनेक प्रकार की चिकित्सा भी कर सकते हैं. संगीत एक ऐसा माध्यम है, जिससे व्यक्ति रागी से वीतरागी बन जाता है. जिसके पास गाने की कला होती है, वह जनता को बांधे रखता है. हमारे साधु- साध्वी प्रवचन में भी संगीत का उपयोग करते हैं. समाज में बहुत प्रतिभाएं हैं. प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं, ज्ञान वृद्धि के लिए होनी चाहिए. ऐसे कार्यक्रमों से शासन की प्रभावना भी होती है. कनिष्ठ वर्ग में प्रथम हृदया भट्टेरा, द्वितीय इशिका गधैया, तृतीय मायरा चिंडालिया एवं आरव बरमेचा एवं टीनएजर्स वर्ग में प्रथम हर्ष संचेती, द्वितीय गरिमा दुगड़, तृतीय हर्षल राखेचा घोषित किये गये. तेरापंथ युवक परिषद द्वारा प्रतियोगियों को सम्मानित किया गया. निर्णायक थे- उत्तमचंद बैद, डॉ अरिहंत सिंघवी एवं अंशु सेठिया. कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद व किशोर मंडल के सदस्यों के संगान से हुआ. इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष गगन दीप बैद ने स्वागत भाषण, आभार मंत्री अमित बैगानी व संचालन मोहित नाहटा ने किया. निर्णायकों का भी सम्मान किया गया. कार्यक्रम के प्रायोजक अशोक कुमार धाडेवा थे.
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