कोरोना संकट के बीच लोगों को उत्साहित करने के लिए संगीतकार जौहर अली खां ने गाया ये गाना

संगीतकार जौहर अली ने कोरोना को लेकर गाना बना डाला है. वह अपने गाने से लोगों को कोरोना महामारी से सतर्क कर रहे हैं.

By Sameer Oraon | April 30, 2020 3:40 PM

कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है. विश्व में ज्यादतर देशों में लॉकडाउन है, लेकिन संगीतकार लॉकडाउन में रह कर अपनी रचनात्मकता को नया आयाम दे रहे हैं और देश की जनता को कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव से जागरूक कर रहे हैं. उस्ताद गौहर अली खान के पुत्र व शिष्य प्रसिद्ध हिंदुस्तानी वॉयलिन वादक व संगीतकार जौहर अली ने कोरोना को लेकर गाना बना डाला है. वह अपने गाने से लोगों को कोरोना महामारी से सतर्क कर रहे हैं.

फ्यूजन स्टाइल में गाये गए गाने के बोल हैं.. डरो न, डरो न, कोरोना से यारो.. थोड़ी सावधानी से इसको मिटा दे..थोड़ी सावधानी से जीवन बचा लें…. जौहर अली का परिवार दो दशकों से संगीत से जुड़ा है. पटियाला व रामपुर घराना से संबंध रखने वाले जोहार अली स्वच्छ भारत अभियान व इंटी टोबैको अभियान के एंबेस्डर हैं तथा पेरिस में आयोजित यूनेस्को की 60 वार्षिक समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. श्री अली कहते हैं कि संगीत ऐसी चीज है. जिससे इंसान खुश हो जाता है.

उसमें उसका कुछ जाता नहीं. कुछ खरीद नहीं रहा है. फ्री में इतनी बड़ी चीज मिल रही है, जो उसके बॉडी व सोल को एनर्जी प्रदान कर रही है. इसमें न कोई फॉर्म भरना है, न एप्लीकेशन करना है और न ही किसी को फोन करना है. मैं कुछ समझाने के लिए संगीत का सहारा लेता हूं. इस वक्त राजनीति करने का वक्त नहीं है. अमेरिका जैसा अमीर देश घुटनों के बल बैठ गया. उसके पास सब कुछ है. हमें भी सचेत रहकर सरकार के दिए गए आदेश को मानने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा आगे कहा कि मैं लोगों को उत्साहित कर रहा हूं कि वे घर पर ही रहें और अपना ध्यान रखें. म्यूजिक का आनंद लेते रहे. दुनिया की सबसे बड़ी मेडिसिन संगीत है. लेकिन संगीत से उस मेडिसिन में एक एनर्जी आ जाती है. कुछ लोगों द्वारा लॉकडाउन का पालन नहीं करने पर श्री अली कहते हैं कि इंसान की एक फितरत होती है. मैं कहीं भूखा न रह जाऊं, मेरे बच्चे को कल खाने की परेशानी न हो जाए.

उनमें से कुछ लोग इसका एडवांटेज लेने लगते हैं. इस दुविधा में कुछ संस्थाएं व सरकार यदि उन्हें आश्वस्त कर दे कि घर तक जरूरी चीज पहुंच जाएगी, घबराने की बात नहीं है. हालांकि ज्यादातर लोग लॉकडाउन का मान रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि आपके घर में बच्चे हैं. बच्चे को आप कहते हैं कि गर्मी में बाहर नहीं जाएं, लेकिन इनमें से एक-दो बाहर जाने की कोशिश करेगें. आप उनसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन उसके दुश्मन नहीं हो सकते.

हिंदुस्तान में हर दिमाग का व्यक्ति है. सभी को लेकर चलना है. आज समझायेंगे, कल वह समझ जाएगा. सबसे पहले हमें खुद समझना है कि अगर मैं कोई काम करता हूं. पहले मैं अपने बारे में सोचता हूं लेकिन मैं कितना देश के लिए काम कर रहा हूं, मैं कितना बाहर नहीं जा रहा हूं. मेरी भी जरूरतें हैं लेकिन यह बहुत बड़ी विपदा की घड़ी है. गरीब तबके को डंडे, मार व गालियां नहीं चाहिए. हममें से कितने लोगों ने मजदूरों के घर खोले हैं ?

कितने लोगों की सहायता की है ? ऐसे कई लोग हैं जो सहायता करने के बाद केवल अपने फोटो खिंचवा रहे हैं. यदि घर में बच्चा भूखा है, तो दूध लेने बाहर जाएगा. मैं भी जाऊंगा. इसका मतलब यह नहीं है कि वह बाहर से कोरोना खरीद कर लाया है. उसको यदि वहीं दूध मिल जाए तो वह क्यों जायेगा ? यदि सुविधा घर में मिल ही जाए. बड़ी-बड़ी बातों से काम नहीं होता, ग्राउंड रियल्टी भी देखनी होगी.

Next Article

Exit mobile version