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नारदा केस और मैथ्यू सैमुअल, स्टिंग ऑपरेशन के मास्टरमाइंड ने कैसे बंगाल की सियासत में लाया भूचाल?

Narada Sting Operation Latest Update: पश्चिम बंगाल में साल 2016 विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी थी. इसको लेकर सारी राजनीतिक पार्टियों की सत्ता पाने की कोशिशों के बीच नारदा स्टिंग ऑपरेशन पब्लिक डोमेन में आया था. इसके बाद कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सियासी भूचाल आ गया. इस स्टिंग ऑपरेशन देने वाले शख्स का नाम मैथ्यू सैमुअल था. स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मैथ्यु सैमुअल ने नारदा न्यूज पोर्टल बनाया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2021 2:05 PM
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Narada Sting Operation Latest Update: पश्चिम बंगाल में साल 2016 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी थी. इसको लेकर सारी राजनीतिक पार्टियों की सत्ता पाने की कोशिशों के बीच नारदा स्टिंग ऑपरेशन पब्लिक डोमेन में आया था. इसके बाद कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सियासी भूचाल आ गया. इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने वाले शख्स का नाम मैथ्यू सैमुअल था. स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए मैथ्यु सैमुअल ने नारदा न्यूज पोर्टल बनाया था. यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट भी पहुंचा था, जहां से साल 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया गया. अब, इसी मामले में टीएमसी सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी की सीबीआई गिरफ्तारी पर हंगामा मचा हुआ है. इस मामले में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम भी आया था. हालांकि, शुभेंदु अधिकारी तक सीबीआई जांच की आंच नहीं पहुंच सकी है.

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कैसे अंजाम दिया गया नारदा स्टिंग ऑपरेशन?

कई इंटरव्यूज में मैथ्यू सैमुअल ने जिक्र किया था कि वो स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए खास तौर पर कोलकाता पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने टीएमसी के मंत्रियों और नेताओं से संपर्क साधे थे. उन्होंने खुद को व्यवसायी बताकर बंगाल में निवेश की बात कही थी. इसी दौरान रुपयों के लेन-देने की पेशकश भी की गई. रुपए लेते हुए टीएमसी के कई मंत्री और नेता मैथ्यू सैमुअल के हिडेन कैम में रिकॉर्ड भी हुए थे. साल 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले ही स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो पब्लिक डोमेन में आ गया था. इसके बाद सियासी हंगामा मच गया.

नारदा स्टिंग ऑपरेशन में इनके खिलाफ केस

नारदा स्टिंग ऑपरेशन का मामला हाईकोर्ट पहुंचा और सीबीआई जांच के आदेश दिए गए. इस मामले से ईडी भी जुड़ी और जांच को आगे बढ़ाया गया. ईडी ने सीबीआई की मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर एक दर्जन नेताओं और एक आईपीएस समेत 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. इनमें फिरहाद हकीम, मदन मित्रा, मुकुल रॉय, सुलतान अहमद, सौगत रॉय, इकबाल अहमद, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शुभेंदु अधिकारी, शोभन चटर्जी, सुब्रत मुखर्जी, अपरूपा पोद्दार और आईपीएस अधिकारी सैयद हुसैन मिर्जा शामिल थे. मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. शोभन चटर्जी भी बीजेपी में शामिल हुए थे और बाद में उन्होंने पार्टी को भी छोड़ दी थी. जबकि, सुलतान अहमद का साल 2017 में निधन हो गया था.

ईडी की रडार पर टीएमसी के कई दिग्गज नेता

दिन गुजरते गए और नारदा स्टिंग ऑपरेशन पर हंगामा मचता रहा. इसी बीच 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे निकले और प्रचंड बहुमत के साथ ममता बनर्जी की सरकार बन गई. समय गुजरता गया और मामले पर हंगामा शांत होता गया. अब, साल 2021 का बंगाल चुनाव आ चुका था. इसके पहले नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजे और कुछ कागजात मांगे. इसमें मंत्री फिरहाद हकीम, हावड़ा से एमपी प्रसून बनर्जी और पूर्व मंत्री मदन मित्रा से आय-व्यय का हिसाब मांगा गया था.

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शुभेंदु अधिकारी पर मैथ्यू सैमुअल के सवाल

नारदा स्टिंग ऑपरेशन में आरोपी काकोली दस्तीदार भी थीं. सितंबर 2019 में पत्रकारों से बात करते हुए टीएमसी सांसद काकोली दस्तीदार ने कबूल किया था कि उन्होंने मैथ्यू सैमुअल से रुपए लिए थे. उन्होंने रुपए को पार्टी डोनेशन से जोड़ा था और खुद के पास रसीद होने की बात कही थी. दिलचस्प बात यह है नारदा स्टिंग केस में बीजेपी नेता (टीएमस सुप्रीमो ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी) शुभेंदु अधिकारी का नाम भी सामने आया था. वो भी स्टिंग ऑपरेशन में दिखे थे. सोमवार को जब सीबीआई ने ममता बनर्जी के चार करीबियों को पकड़ा था तब मैथ्यू सैमुअल ने भी सवाल किया था कि आखिर शुभेंदु अधिकारी कैसे बच गए हैं? जबकि, बीजेपी में शामिल हो चुके मुकुल रॉय के खिलाफ भी सीबीआई की कार्रवाई नहीं होने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.

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