ओएमआर शीट के मूल्यांकन में नीलाद्री दास ने की थी गड़बड़ी
याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार, एसएससी की कक्षा नौवीं-दसवीं, 11वीं-12वीं में हुए नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपी नीलाद्री दास को ओएमआर शीट के मूल्यांकन का काम सौंपा गया था. आरोप है कि नीलाद्री दास ने ओएमआर शीट के मूल्यांकन में गड़बड़ी की थी.
कोलकाता. राज्य में उच्च प्राथमिक विद्यालयों की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगे हैं. यह मामला सात साल से कलकत्ता हाइकोर्ट में चल रहा है. इसी बीच, नियुक्ति परीक्षा की ओएमआर शीट (उत्तर पुस्तिका) में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. इसे लेकर एक याचिकाकर्ता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत किया. याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार, एसएससी की कक्षा नौवीं-दसवीं, 11वीं-12वीं में हुए नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपी नीलाद्री दास को ओएमआर शीट के मूल्यांकन का काम सौंपा गया था. आरोप है कि नीलाद्री दास ने ओएमआर शीट के मूल्यांकन में गड़बड़ी की थी और इस आरोप में सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार भी किया था. हालांकि, एसएससी ने याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया है. हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति पार्थसारथी चट्टोपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई समाप्त हो गयी है और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. गौरतलब है कि उच्च प्राथमिक की नियुक्ति प्रक्रिया में कई त्रुटियों का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में मामला दायर किया गया था. हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान नौकरी से वंचित अभ्यर्थियों के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में ””अनियमितताएं”” हुई हैं.
2023 में, 1,463 लोगों को सिर्फ अनुमान के आधार पर साक्षात्कार प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था और अभ्यर्थियों को उस निर्णय के पीछे का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया. बाद में एसएससी ने इसकी चार बार जांच की.
अंत में सिर्फ 74 लोग इंटरव्यू से बाहर हो गये. विकास रंजन भट्टाचार्य ने दावा किया कि उस मामले में भी सही नियमों का पालन नहीं किया गया था. वादियों के एक अन्य वकील सुबीर सान्याल ने कहा कि काउंसेलिंग के दौरान आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया. उस नियुक्ति प्रक्रिया में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को लेकर कई सवाल हैं. यहां तक कि महिलाओं के आरक्षण में भी गड़बड़ियां हुई हैं.
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