पीजी, एनआरएस सहित 10 मेडिकल कॉलेजों पर एनएमसी ने लगाया जुर्माना

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों पर लाखों रुपये जुर्माना लगाया है. वहीं जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने राज्य के 23 मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृत सीटों की संख्या कम किये जाने की चेतावनी दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 10, 2024 1:22 AM

संवाददाता, कोलकाता

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों पर लाखों रुपये जुर्माना लगाया है. वहीं जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने राज्य के 23 मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृत सीटों की संख्या कम किये जाने की चेतावनी दी है.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर और बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम पर आयोग को कई सारी कमियां मिली हैं. मेडिकल कॉलेजों पर न्यूनतम आधारभूत संरचना का मानदंड पूरा नहीं करने पर जुर्माना लगाया गया है. कमीशन के निर्देश के बावजूद कई मेडिकल कॉलेजों ने मानदंड को पूरा नहीं किया. इसके तहत अपर्याप्त इंडोर बेड, रोग निर्धारण को लेकर मशीनें व तकनीक का अभाव, क्लास रूम की कमी आदि शामिल है. साथ ही शिक्षक चिकित्सकों की अनुपस्थिति का मामला है.

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश के 80 फीसदी मेडिकल कॉलेजों ने मिनिमम स्टैंडर्ड रिक्वायरमेंट को पूरा नहीं किया है. इसके पहले मेडिकल कॉलेजों को सतर्क किया गया था. इसके बाद भी वह काम नहीं कर सके. बता दें कि राज्य के 10 मेडिकल कॉलेजों में एसएसकेएम (पीजी), कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, एनआरएस, सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज, मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े चिकित्सा संस्थान शामिल हैं. कमीशन ने यह भी साफ कर दिया है कि यदि मेडिकल कॉलेज आगे कोई सुधार नहीं करते हैं, तो उनके एमबीबीएस सीटों की संख्या कम कर दी जायेगी. इसके अलावा मेडिकल छात्रों के दाखिले पर भी रोक लगाने जैसे कड़े फैसले लिये जा सकते हैं.

कमीशन की ओर से कहा गया है कि अगर राज्य सरकार जुर्माना माफी के लिए आवेदन करना चाहती है, तो उसके लिए भी आपको 50 हजार रुपये चुकाकर आवेदन करना होगा.

एनएमसी ने सरकारी डॉक्टरों के बायोमेट्रिक हाजिरी पर भी सवाल खड़ा किया है. आयोग को शिकायत मिली है कि शिक्षक चिकित्सक मेडिकल कॉलेजों में ठीक से क्लास नहीं ले रहे हैं. यह भी सवाल उठाया गया है कि क्या मेडिकल स्टूडेंट्स की संख्या के हिसाब से पर्याप्त शिक्षक चिकित्सक हैं. वहीं, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस अभी पूरी तरह से सभी मेडिकल कॉलेजों में लागू नहीं है. इसे सभी मेडिकल कॉलेजों में लागू करने के अंतिम तिथि 28 फरवरी थी. उधर, एनएमसी का दावा यह है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग को पिछले साल से ही बार-बार चेतावनी दी जा रही थी. फिर बायोमेट्रिक अटेंडेंस और मेडिकल कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर खस्ताहाल क्यों है. बुनियादी ढांचे का विकास नहीं किया जा रहा है. वहीं मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले पर्याप्त शिक्षकों चिकित्सकों की कमी है.

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