संसद में पारित हुए कानून की समीक्षा करने का अधिकार किसी राज्य को नहीं : शुभेंदु अधिकारी

राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये तीन नये आपराधिक कानूनों - भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है

By Prabhat Khabar News Desk | July 19, 2024 1:46 AM

संवाददाता, कोलकाता

राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये तीन नये आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया है. इस पर नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी कानून की समीक्षा करने का अधिकार किसी राज्य सरकार को नहीं है. गुरुवार को राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

बंगाल सरकार की यह अधिसूचना न केवल अवैध है, बल्कि संघीय ढांचे का भी उल्लंघन करती है. यह अधिसूचना संसद और राष्ट्रपति के अधिकार को चुनौती देती है. उन्होंने कहा कि नये कानूनों के हर पहलू पर लगभग चार वर्षों तक विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक रूप से चर्चा की गयी थी. स्वतंत्र भारत में बहुत कम कानूनों पर इतनी लंबी चर्चा हुई थी. संसद के दोनों सदनों ने इन विधेयकों को पारित किया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2023 को तीनों आपराधिक संहिता विधेयकों को अपनी मंजूरी दी.

इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 24 फरवरी को अधिसूचना जारी कर एक जुलाई 2024 को तीनों कानूनों के प्रावधानों को लागू कर दिया. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी भारतीय संविधान द्वारा स्थापित मानदंडों को चुनौती दे रही हैं. एक प्रांतीय सरकार की मुखिया के रूप में वह अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर रही हैं. उन्होंने केंद्र से इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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