Loading election data...

शुभेंदु ने चुनावों में हार की जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ा

अपने संबोधन में शुभेंदु ने साफ कहा कि पार्टी को नये सिरे से लड़ाई शुरू करनी होगी. पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खत्म हो गया है. इसलिए पहले लोकतंत्र को वापस लाने की लड़ाई लड़नी होगी. हमलोग राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2024 11:23 PM

कोलकाता.

साइंस सिटी में भाजपा राज्य कमेटी की बैठक में लोकसभा चुनाव व विधानसभा के उपचुनाव में मिली करारी हार की समीक्षा करने के लिए प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों की बुधवार को बैठक हुई. बैठक में यह बात बार-बार सामने आयी कि लोकसभा चुनाव में दिलीप घोष की अध्यक्षता में 18 सीटें पाने वाली भाजपा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल के रुप में उभर कर सामने आयी थी, लेकिन इस बार अध्यक्ष के बदलाव के बाद जैसे ही कमान सुकांत मजूमदार के हाथ में गयी. लोकसभा चुनाव में पार्टी की सीट घटकर 18 से 12 पर पहुंच गयी. इसके अलावा उपचुनाव में पार्टी का सुपड़ा साफ हो गया. सुकांत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रहे शुभेंदु अधिकारी की जब बोलने की बारी आयी तो उन्होंने साफ कह दिया कि वह विधानसभा में विरोधी दल के नेता हैं, इसलिए हार की जिम्मेवारी उनके ऊपर थोपना सही नहीं है. बैठक में मंच से संबोधित करते हुए शुभेंदु ने साफ कहा कि वह भाजपा के किसी भी सांगठनिक पद पर नहीं हैं. लिहाजा उनकी कोई जिम्मेवारी नहीं बनती है. यानि अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेवारी प्रदेश अध्यक्ष के कंधों पर डाल दिया.

उल्लेखनीय है कि हार के कारणों पर मंथन व आगे की रणनीति तय करने के लिए साइंस सिटी में बैठक का आयोजन किया गया, जहां शुभेंदु अधिकारी, सुकांत मजूमदार, दिलीप घोष समेत प्रदेश भाजपा के कई नेता मौजूद थे. शुभेंदु ने साफ कहा कि मुझे संगठन को लेकर जो भी कहना था, वह मैं दिल्ली में सुनील बंसल को बता दिया हूं. सिर्फ इतना ही नहीं, केंद्रीय गृहमंत्री को भी बता दिया हूं. पश्चिम बंगाल में पार्टी को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है, इस बारे में अपनी राय दे चुका हूं. मैं सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, जिससे बूथ स्तर के कार्यकर्ता हताश हों.

अपने संबोधन में शुभेंदु ने साफ कहा कि पार्टी को नये सिरे से लड़ाई शुरू करनी होगी. पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खत्म हो गया है. इसलिए पहले लोकतंत्र को वापस लाने की लड़ाई लड़नी होगी. हमलोग राष्ट्रपति शासन नहीं चाहते हैं.

नबान्न में पिछले दरवाजे से जाने का कोई शौक उनलोगों को नहीं है. शुभेंदु ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं मुकुल राय की तरह सभी अधिकार गंवा कर भाजपा में नहीं आया. मैं सबकुछ छोड़कर भाजपा में आया हूं. यहीं से वह अपनी राजनीतिक पारी का समापन भी करेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version