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मुहर्रम पर निकले मातमी जुलूस ताजियों पर टिकीं लोगों की निगाहें

शहर के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम समुदाय ने मातम का पर्व मुहर्रम शांतिपूर्ण ढंग से मनाया. मुस्लिम संगठनों की ओर से विभिन्न इलाकों से ताजिये निकाले गये. विभिन्न अखाड़ों में शामिल लोगों ने हैरतअंगेज करतब दिखाये. मुहर्रम के मौके पर दुर्गापुर के कादा रोड में तंजीम मुहर्रम कमिटी ने मातमी जुलूस निकाला.

दुर्गापुर.

शहर के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम समुदाय ने मातम का पर्व मुहर्रम शांतिपूर्ण ढंग से मनाया. मुस्लिम संगठनों की ओर से विभिन्न इलाकों से ताजिये निकाले गये. विभिन्न अखाड़ों में शामिल लोगों ने हैरतअंगेज करतब दिखाये. मुहर्रम के मौके पर दुर्गापुर के कादा रोड में तंजीम मुहर्रम कमिटी ने मातमी जुलूस निकाला. पुलिस की भी सुरक्षा व्यवस्था थी. कमेटी के अध्यक्ष तरुण रॉय, समाजसेवी लालबाबू प्रसाद, पूर्व पार्षद रवींद्र कुमार राम, संस्था के सचिव अलाउद्दीन खान, अकरम मिर्ज़ा, इम्तियाज खान, इस्लाम खान, नसीम खान सहित अनेक गणमान्य मौजूद थे. इसके अलावा मेनगेट स्थित आजाद नगर के हजरत इमाम हुसैन मुहर्रम कमेटी, तंजीम-ए-मुहर्रम कमिटी, बेनाचिटी के प्रांतिका मोड़, मस्जिद मुहल्ला, नईम नगर में विशाल ताजिये निकाले गये.

इसके अलावा शहर के अमराई, बांकुड़ा मोड़, लेबर हॉट, वारिया आदि इलाकों में मुस्लिम समुदाय के अखाड़े व ताजिये निकाले गये. रास्तों से गुजरते ताजिये को देखने के लिए सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग जुटे थे. अखाड़ों में बड़े तो बड़े, छोटे उस्तादों ने भी हैरतंगेज करतब दिखा कर लोगों को चकित कर दिया. आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट(एडीपीसी) की ओर से मुहर्रम के दौरान सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था थी. दुर्गापुर के बेनाचिटी बाजार में ताजिया निकालते समय उमड़नेवाली भीड़ के मद्देनजर चौपहिया वाहन व अन्य बड़ी गाड़ियों के लिए दोपहर के बाद ‘नो एंट्री’ का बोर्ड लगा दिया गया था. राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम की समस्या से बचने के वास्ते जीटी रोड पर जगह-जगह बेरिकेड लगा कर वाहनों के रूट बदल दिये गये थे.

मौके पर दुर्गापुर नगर निगम की प्रशासक अनिंदिता मुखर्जी, बोर्ड मेंबर धर्मेंद्र यादव, राखी तिवारी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे. धमेंद यादव व राखी तिवारी ने कहा कि हर पर्व भाईचारा का पैगाम देता है. मौलाना ने बताया कि इस्लाम का झंडा बुलंद करने के लिए इमाम हुसैन का पूरा परिवार कर्बला के मैदान में शहीद हो गया था. उस शहादत की याद में मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिया व अखाड़े निकाल कर मातम करते हैं. साथ ही लाठीबाजी व तलवारबाजी आदि का खेल दिखाया जाता है. उन्होंने कहा कि मातम के इस पर्व में लोगों को आपसी भाइचारा और अमन बनाये रखने की मिसाल पेश करनी चाहिए. काबिल-ए-गौर है कि मुहर्रम अपने मजहब, उसूल व कौम के लिए कुर्बान हुए लोगों की याद में मातम मनाने का दिन है.

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