कोलकाता.
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप किया है, जिसमें वैवाहिक विवाद मामले में शामिल दो व्यक्तियों की व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति मांग की गयी थी. शीर्ष अदालत ने विशेष रूप से आधुनिक संचार प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता और एक पक्ष के गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को देखते हुए आभासी उपस्थिति की अनुमति नहीं देने के हाइकोर्ट के फैसले पर चिंता व्यक्त की. अवकाश पीठ के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पक्षकार, जिनमें से एक का हाल ही में अंग प्रत्यारोपण हुआ है और अन्य गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहा है. ऐसी परिस्थिति में उन्हें अनावश्यक रूप से मुंबई से कोलकाता की यात्रा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हालांकि, इससे पहले याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के पिछले आदेश का पहले ही पालन कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि हाइकोर्ट द्वारा ऐसी कठोर मांगों के लिए कोई स्पष्ट औचित्य नहीं था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में याचिकाकर्ता की शारीरिक रूप से उपस्थिति के फैसले पर रोक लगा दी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है