पश्चिम बंगाल : आरामबाग व कृष्णानगर में सभा करने के पीछे भी है राजनीतिक खेल

पश्चिम बंगाल :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे की शुरुआत आरामबाग लोकसभा क्षेत्र से की. यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. 1952 से लेकर 2009 तक इस सीट पर वाम दलों का वर्चस्व रहा है. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 5,39,476 है.

By Shinki Singh | March 4, 2024 3:42 PM

पश्चिम बंगाल : लोकसभा चुनाव के एलान में अब कुछ समय बाकी रह गया है. सभी सियासी दल चुनावी बिसात पर गोटियां सजाने में जुटे हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से जमीनी तैयारियां पहले से शुरू हो चुकी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद देश के दक्षिण से लेकर पूर्व तक के दौरे में व्यस्त हैं. प्रधानमंत्री के इन दौरों में पश्चिम बंगाल का दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां इस बार भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतकर अपने 400 पार के लक्ष्य को पूरा करे. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां कुल 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार उसका लक्ष्य ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करने का है. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी का यह बंगाल दौरा बेहद महत्वपूर्ण है. आइये, यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर आरामबाग और कृष्णानगर की लोकसभा सीटों का सियासी गणित क्या है?

आरामबाग लोकसभा की आरक्षित सीट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे की शुरुआत आरामबाग लोकसभा क्षेत्र से की. यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. 1952 से लेकर 2009 तक इस सीट पर वाम दलों का वर्चस्व रहा है. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 5,39,476 है.

2019 में बहुत कम वोटों के अंतर से हारी भाजपा

2019 के लोकसभा चुनावों में आरामबाग सीट पर भाजपा को बहुत कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. इस सीट से तृणमूल उम्मीदवार अपरूपा पोद्दार (आफरीन अली) को केवल 1,142 वोटों से जीत हासिल हुई थी. ऐसे में पीएम मोदी के बंगाल दौरे की शुरुआत आरामबाग से करने के फैसले के पीछे पार्टी की उस रणनीति की झलक मिलती है कि पिछले चुनावों में जहां बेहद कम अंतर से पार्टी हारी, उस पर विशेष तौर पर फोकस रहे. 2019 के लोकसभा चुनावों में अपरूपा पोद्दार को कुल 6,49,929 वोट हासिल हुए थे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे निकटतम प्रतिद्वंद्वी तपन कुमार राय को कुल 6,48,787 वोट मिले थे. तृणमूल और भाजपा के बीच हार जीत का अंतर केवल 1,142 वोटों का था.

2014 के चुनाव में क्या रहा परिणाम

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर तृणमूल उम्मीदवार अपरूपा पोद्दार ने एक आसान जीत हासिल की थी. अपरूपा पोद्दार को कुल 7,48,764 वोट मिल थे और उन्होंने माकपा के शक्तिमोहन मलिक को 3,46,845 वोटों से हरा दिया था. शक्तिमोहन मलिक को कुल 4,01,919 वोट मिले थे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मधुसूदन बाग कुल 1,58,480 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. अपरूपा पोद्दार को 54.94 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि निकटमत प्रतिद्वंद्वी शक्तिमोहन मलिक को 29.51 प्रतिशत वोट हासिल हुआ. वहीं, भाजपा उम्मीदवार मधुसूदन बाग को 11.63 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा.

महुआ मोइत्रा हैं कृष्णानगर से सांसद

वहीं, कृष्णानगर लोकसभा सीट की बात करें, तो यहां से तृणमूल की महुआ मोइत्रा सांसद हैं. कृष्णानगर नदिया जिले का मुख्यालय है. कुल सात विधानसभा सीटें इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आती हैं. इन सीटों में तेहट्ट, पलासीपाड़ा, कालीगंज, नक्क्शीपाड़ा, चापड़ा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवद्वीप शामिल हैं. यहां कि 87.34 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 12.66 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं.

2019 में दूसरे नंबर पर रही भाजपा

2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल की महुआ मोइत्रा ने भाजपा उम्मीदवार कल्याण चौबे को हरा कर इस सीट पर जीत हासिल की थी. महुआ मोइत्रा को कुल 6,14,872 वोट मिले, जबकि कल्याण चौबे को 5,51,654 वोट मिले. दोनों के बीच हार और जीत का अंतर 63,218 वोटों का रहा. माकपा के डॉ शांतनु झा को 1,20,222 वोट मिले. वोट प्रतिशत की बात करें, तो महुआ मोइत्रा को कुल 45 फीसदी और भाजपा उम्मीदवार कल्याण चौबे को कुल 40.37 फीसदी वोट मिले.

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