संवाददाता, कोलकाता
थैलेसीमिया पीड़ित एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. वह दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर थाना इलाके की रहनेवाली है. स्थानीय बारुईपुर थाने में भी महिला ने अपने पति सहित कई लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी. गुरुवार को मामले की सुनवाई न्यायाधीश अमृता सिन्हा की बेंच में हुई. न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 12 से 13 जून की रात का बारुईपुर थाने का सीसीटीवी व पुलिस अधीक्षक के दफ्तर का सीसीटीवी फुटेज संरक्षित कर रखना होगा. पीड़िता को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे, पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा. इसके साथ मामले के गवाहों की सुरक्षा भी पुख्ता करनी होगी. 30 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई होगी.
पीड़िता के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि घटना के बाद बारुईपुर थाने में पीड़िता ने मौखिक रूप से दुष्कर्म की शिकायत की. लेकिन पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की. बाद में आठ मई को पीड़िता ने लिखित शिकायत दर्ज करायी. पीड़िता की शिकायत के बाद आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. पति को पुलिस के हवाले करने के बाद भी वह असुरक्षित महसूस कर रही है.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि उक्त दिन लिखित शिकायत नहीं होने के कारण ही पुलिस ने एफआइआर दर्ज नहीं की थी. बाद में आरोपियों को 18 जून को गिरफ्तार किया गया. इस पर न्यायाधीश ने यह जानना चाहा कि लिखित शिकायत ही क्यों मिलनी चाहिये. मौखिक रूप से पीड़िता ने जो कहा, उसे लेकर डीडी दर्ज हुआ. एफआइआर के लिए इंतजार क्यों करना पड़ा. पुलिस ने एक पक्ष के लिए काम किया है. दुष्कर्म के आरोपियों को कैसे थाने से छोड़ दिया गया. न्यायाधीश ने कहा कि महिला को कोई सुरक्षा भी नहीं दी गयी. न्यायाधीश ने यह भी जानना चाहा कि महिला के पति के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की है. उसे क्यों नहीं हिरासत में लिया गया. बता दें कि यह दंपती थैलेसीमिया वाहक है. इनकी दो संतानों की थैलेसीमिया के कारण कम उम्र में मौत हो गयी थी.
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