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Rachna Banerjee : हुगली में राजनीतिक हलचल तेज, तृणमूल नेताओं ने दिया इस्तीफा

Rachna Banerjee : अब देखना है कि जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है. उनका मगरा बीडीओ इनका इस्तीफा कबूल कर रहा है या नहीं. हालांकि इस्तीफा देने वालों को मनाने के लिए जिले के बड़े-बड़े नेता जुट गए हैं. अनुमान किया जा रहा है कि इस्तीफा वापस भी लिया जा सकता है.

Rachna Banerjee : पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के नेताओं के द्वारा इस्तीफा दिए जाने की घटना से हुगली में राजनीति का हलचल तेज हो गई है. हर जगह बस इसी बात का चर्चा है. हुगली संसदीय सीट से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार रचना बनर्जी ने 76,853 वोटों से जीत हासिल की है. हालांकि, इस जीत के बावजूद, रचना बनर्जी को हुगली के सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन में हार का सामना करना पड़ा, जिसमें सबसे अधिक अंतर चुंचुड़ा विधानसभा क्षेत्र में था. चुंचुड़ा के मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवार लाॅकेट चटर्जी को रचना बनर्जी से 8,284 वोट अधिक दिए. इस हार के नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चुंचुड़ा विधानसभा के अंतर्गत आने वाली चार पंचायतों के प्रमुख और उप प्रमुख ने इस्तीफा दे दिया है.

तृणमूल नेताओं ने दिया इस्तीफा

इन पंचायतों में बंडेल, देवानंदपुर, कोदालिया-1 और कोदालिया-2 शामिल हैं. इसके अलावा, कोदालिया-2 ग्राम पंचायत की उप प्रमुख सुचेता मन्ना पाल ने भी मगरा पंचायत कार्यालय में स्थित जॉइंट बीडीओ पुष्पिता विश्वास के पास पहुंच कर इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने बताया कि यह निर्णय पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए स्वेच्छा से लिया गया है. कईयों ने इस बाबत अपना मुंह तक नहीं खोला. उन लोगों का कहना था कि जो कुछ कहना है वह विधायक असित मजूमदार कहेंगे. विधायक असित मजूमदार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन जन प्रतिनिधियों ने विवेकपूर्ण निर्णय लिया है और उनकी उपस्थिति में पार्टी की हार हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि हार के कारणों की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की जाएगी.

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पार्टी का ढांचा ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा

चुंचुड़ा नगर निगम के वार्ड नंबर 6 के तृणमूल पार्षद झंटू विश्वास ने आरोप लगाया कि विधायक का पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्षदों के साथ अपमानजनक व्यवहार हार का प्रमुख कारण है. उन्होंने कहा कि यदि यही स्थिति रही, तो पार्टी का ढांचा ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा. भाजपा के सुरेश साव ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हार की जिम्मेदारी लेनी ही है तो विधायक असित मजूमदार क्यों नहीं ले रहे हैं, जो चुंचुड़ा के अभिभावक हैं. इस घटनाक्रम ने हुगली की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. अब देखना है कि जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है. उनका मगरा बीडीओ इनका इस्तीफा कबूल कर रहा है या नहीं. हालांकि इस्तीफा देने वालों को मनाने के लिए जिले के बड़े-बड़े नेता जुट गए हैं. अनुमान किया जा रहा है कि इस्तीफा वापस भी लिया जा सकता है.

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