अवैध निर्माण की घटनाओं के खिलाफ राज्य प्रशासन की उदासीनता पर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन महानगर के विभिन्न हिस्साें में हुए अवैध निर्माण के प्रति राज्य सरकार उदासीन है. बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने अवैध निर्माण को लेकर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया है. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि कम से कम पांच ऐसे उदाहरण आप हाइकोर्ट में पेश करें, जिसमें आपने अवैध निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई की है या उसे गिराया है. बताया गया है कि पूर्व कोलकाता के वेट लैंड को भर कर वहां ऊंची इमारतें, घर, कारखाने और यहां तक कि रिसॉर्ट भी बनाये गये हैं. कलकत्ता हाइकोर्ट ने इन सभी स्थानों को यथाशीघ्र पूर्व स्थिति में लौटाने का आदेश दिया है और इस बारे में वेटलैंड अथॉरिटी से 31 जुलाई को कार्य प्रगति रिपोर्ट तलब की है. साथ ही हाइकोर्ट ने अवैध निर्माण के सभी दस्तावेज सीईएससी और डब्ल्यूबीएसईडीसीएल को सौंपने का निर्देश दिया है, ताकि दोनों संस्थाएं जांच कर रिपोर्ट देंगी कि कहां-कहां अवैध निर्माणों को बिजली आपूर्ति की गयी है. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि ””””इतने दिनों तक प्रशासन ने क्या किया? समग्र रूप से डीएम ने क्या किया? क्या सिर्फ कागजों पर ही अवैध निर्माण गिराये गये हैं? न्यायाधीश ने कहा कि वेटलैंड को उसकी पूर्व स्थिति में लौटाया जाये. न्यायाधीश ने कहा कि प्रशासन इतने दिनों से क्या कर रहा था? ये अवैध निर्माण कब तक जारी रहेंगे? हालांकि, राज्य सरकार ने दावा किया कि अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. राज्य के वकील ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में दायर हलफनामे के अनुसार तीन मंजिला घर सहित कई संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया था. 52 मामलों में ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया. वहां 500 से ज्यादा अवैध निर्माण हैं. इस पर न्यायाधीश ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से कहा कि आपने 500 से ज्यादा अवैध निर्माणों की पहचान की है. इनमें से कम से कम पांच अवैध निर्माण आपने ध्वस्त किये हैं, इसे प्रमाणित करें. हाइकोर्ट ने इस बारे में 31 जुलाई तक राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है.
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