Loading election data...

संशोधनागार में महिला कैदियों के लिए हो स्नान घर

राज्य के संशोधनागार में रहनेवालीं महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. यह आरोप अभी थमा भी नहीं था कि अब आरोप लग रहा है कि सुधारगृहों में रहनेवालीं महिलाएं स्नान नहीं कर पा रही हैं. इसे लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हुई है. अधिवक्ता तापस भंज द्वारा दायर इस मामले को लेकर हाइकोर्ट ने चिंता जाहिर की है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 1, 2024 11:15 PM

कोलकाता.

राज्य के संशोधनागार में रहनेवालीं महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं. यह आरोप अभी थमा भी नहीं था कि अब आरोप लग रहा है कि सुधारगृहों में रहनेवालीं महिलाएं स्नान नहीं कर पा रही हैं. इसे लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर हुई है. अधिवक्ता तापस भंज द्वारा दायर इस मामले को लेकर हाइकोर्ट ने चिंता जाहिर की है.याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को खुले में स्नान करना पड़ता है. केवल हाथ-मुंह ही धोने की इजाजत है. अगर ज्यादा गर्मी हो या स्नान करना बहुत जरूरी हो, तभी उन्हें इसकी इजाजत मिलेगी. वहीं, 1894 के जेल कोड के मुताबिक महिला बंदियों को के साथ यह नियम लागू है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के नहाने के लिए अलग से इंतजाम हैं.

याचिका में कहा गया है कि इस नियम के कारण महिलाएं अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित हो रही हैं, इसलिए राज्य को सुनिश्चित करना होगा कि सुधारगृह में रहने वालीं सभी महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित रहे. वह स्वस्थ वातावरण में साफ सफाई के साथ रहें, यानि न्यूनतम सुख सुविधा सब कुछ महिला कैदियों को देना होगा. ऐसा उल्लेख हाइकोर्ट में न्यायाधीश जयमाल बागची और न्यायाधीश गौरांग कांत की खंड़पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version