रामेश्वरम कैफे विस्फोट के संदिग्ध आतंकियों ने झारखंड को भी बनाया था अपना ठिकाना
बेंगलुरु के कैफे में हुए धमाका मामले में कई नए खुलासे हुए हैं. पता चला है कि बंगाल से गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों ने झारखंड को भी अपना ठिकाना बनाया था.
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बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर से गिरफ्तार घटना के मास्टरमाइंड अब्दुल मथीन अहमद ताहा उर्फ मथीन उर्फ ताहा (30) और मुख्य आरोपी मुसाविर शाजीब हुसैन उर्फ शाजेब उर्फ मोहम्मद जुनैद हुसैन (30) फिलहाल राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) की हिरासत में है. आतंकी संगठन आइएसआइएस मॉड्यूल से जुड़े दोनों आरोपियों लेकर नये-नये तथ्य सामने आ रहे हैं.
कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और बंगाल में बनाया था ठिकाना
सूत्रों की मानें, तो विस्फोट की घटना को अंजाम देने के बाद दोनों ने कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के अलग-अलग जगहों को ही नहीं, बल्कि झारखंड को भी छिपने का ठिकाना बनाया था. बेंगलुरु में विस्फोट के 11 दिन बाद दोनों मुख्य आरोपी के चेन्नई से बंगाल छिपने के लिए आये. यहां उनके कोलकाता में लेनिन सरणी, धर्मतला, खिदिरपुर और इकबालपुर के होटलों में भी ठहरने की बात सामने आयी है.
कुछ दिन तक रांची में ठहरे थे आतंकी
बताया जा रहा है कि इस बीच वे कुछ दिनों के लिए रांची भी गये थे. वहां कुछ दिनों तक छिपे रहने और 21 मार्च को वापस बंगाल आने की बात सामने आयी है. वे ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिनों तक एक ठिकाने पर ठहरते थे, फिर अपना डेरा बदल लेते थे. वे वहां कम बजट वाले होटलों और लॉज में फर्जी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेजों के सहारे ठहर रहे थे.
26 मार्च को एनआइए ने शरीफ को किया गिरफ्तार
जांच में यह तथ्य भी सामने आ रहे हैं कि रांची से वापस बंगाल आने के बाद कोलकाता में संदिग्ध आतंकी मोजम्मिल शरीफ से उनकी मुलाकात हुई थी. शरीफ ही दोनों को मुख्य रूप से रसद मुहैया कराता था. उसी ने उन्हें करीब एक लाख रुपये भी दिये थे. संयोग से शरीफ को 26 मार्च को एनआइए गिरफ्तार कर पाने में सफल रही थी. उससे पूछताछ और जांच में मिले अन्य तथ्यों से एनआइए को दोनों संदिग्ध आतंकियों के बंगाल, झारखंड व अन्य राज्यों में छिपने की बात पता चली थी.
खंगाले जा रहे हैं तथ्य
बंगाल, झारखंड व अन्य जगहों में दोनों संदिग्ध आतंकियों को मोजम्मिल के अलावा कौन-कौन सहयोगियों से मदद मिली, यह जांच का अहम हिस्सा है. उनका पता लगाने की कोशिश की जा रही है. गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से मिले मोबाइल फोन, डिजिटल उपकरणों व अन्य तथ्यों को भी खंगाला जा रहा है.