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नीट के खिलाफ पारित किया गया प्रस्ताव

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार ने मंगलवार को नीट-यूजी मामले पर प्रस्ताव पेश किया था. इस पर बुधवार को चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित हुआ.

शिक्षा मंत्री ने फिर की मेडिकल परीक्षा की जिम्मेदारी राज्य को सौंपने की मांग

संवाददाता, कोलकातायूजी-नीट-2024 के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित हुआ है. हालांकि, प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायकों ने इसका कड़ा विरोध किया, लेकिन यह टिक नहीं सका. गौरतलब है कि यह प्रस्ताव परीक्षा में धांधली के खिलाफ लाया गया था. इसमें कहा गया है कि परीक्षा में धांधली हुई है. राज्य सरकार चाहती है कि मेडिकल के लिए होनेवाली इस परीक्षा से बंगाल को बाहर रखा जाये और पश्चिम बंगाल सरकार को ही इसे आयोजित करने की अनुमति दी जाये. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल से पहले तमिलनाडु विधानसभा में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार ने मंगलवार को नीट-यूजी मामले पर प्रस्ताव पेश किया था. इस पर बुधवार को चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित हुआ. यह प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने पेश किया था.

बुधवार को सदन में इस प्रस्ताव के पक्ष में बोलते हुए शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा कि बताया जा रहा है कि नीट के प्रश्न पत्र लीक करने के लिए 30 से 40 लाख रुपये का लेन-देन हुआ था. देश के 24 लाख बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. उन्होंने एक बार फिर मेडिकल परीक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपने की मांग की. उन्होंने कहा : हम इसे पारदर्शी तरीके आयोजित करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा कि नीट स्कैम दो चरणों में हुआ. एक ग्रेस मार्क्स और दूसरा नंबरों के आवंटन में धांधली हुई. इस बार 67 परीक्षार्थी 720 नंबर पाकर प्रथम स्थान हासिल किये हैं. पिछले कुछ वर्षों में एक या दो परीक्षार्थी ही प्रथम स्थान पर रहते थे. शिक्षा मंत्री ने कहा कि नीट मामले में जो भी सच्चाई सामने आयी है, वह बिंदू मात्र है. इसकी गहराई व घनत्व बहुत अधिक है. इस घटना में कुछ गिरफ्तारियां पटना में हुईं और रुपयों के लिए एक गिरोह सक्रिय रूप से यह कार्य कर रहा था. गौरतलब है कि नीट को लेकर देश भर में आंदोलन के दौरान राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने मांग की थी कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा का दायित्व पहले की तरह राज्य सरकारों के हाथों में सौंप देना चाहिए. इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षा मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऐसी ही मांग की है, हालांकि केंद्र सरकार ने अब तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है.

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