राजनीतिक हिंसा की संस्कृति को बदलने की जिम्मेदारी नेताओं पर : देव
तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे दीपक अधिकारी उर्फ देव ने कहा कि राज्य में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति को बदलने की सख्त जरूरत है और इसकी प्रमुख जिम्मेदारी यहां के नेताओं की है
कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रहे दीपक अधिकारी उर्फ देव ने कहा कि राज्य में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति को बदलने की सख्त जरूरत है और इसकी प्रमुख जिम्मेदारी यहां के नेताओं की है. राज्य में तीन चरणों का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से बीतने और चौथे चरण में कुछ हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आने के बाद बातचीत में अधिकारी ने दावा किया कि उन्होंने राज्य के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र घाटाल में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान सुनिश्चित करने की शुरुआत की है. देव ने कहा : बेशक मैं हिंसा की घटनाओं से चिंतित हूं और यही कारण है कि मैं अपने चुनाव-प्रचार अभियान के दौरान अपमानजनक भाषा का उपयोग करने से परहेज करता हूं. मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं कहता, जिससे मेरे समर्थकों और अन्य लोगों के बीच विवाद पैदा हो. मेरा मानना है कि यह विशेष रूप से नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को हिंसा में शामिल होने से रोकें. यह बंगाल के लिए उतना ही सच है, जितना देश के बाकी हिस्सों के लिए है. अभिनेता-नेता देव ने तृणमूल के उम्मीदवार और पद्मश्री कालीपद सोरेन के समर्थन में झाड़ग्राम में एक रोड शो के बाद ये बातें कहीं. राज्य में सोमवार को हुए मतदान के दौरान पूरे दिन दुर्गापुर और बीरभूम से हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आयीं, जहां तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं में झड़प हुई. इस दौरान भाजपा उम्मीदवार दिलीप घोष का एक सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गया. एक अन्य घटना में, मतदान से बमुश्किल कुछ घंटे पहले बीरभूम के केतुग्राम में तृणमूल के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी. इन सभी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए देव ने कहा : नेताओं और उनके समर्थकों, दोनों को बदलने की जरूरत है. मतदाताओं को उन लोगों के पक्ष में मत करना चाहिए, जो योग्य हैं और जो उनके जीवन में बदलाव लायेंगे. उन्हें उन नेताओं को मत देना चाहिए, जो लोगों का सम्मान करते हैं, न कि उन लोगों को जो मंच पर बकवास करते हैं. उन्होंने कहा : मैं दुनिया को नहीं बदल सकता, लेकिन अगर मैं खुद को बदल सकता हूं और अगर लोग मुझमें उस बदलाव को देख कर कुछ सीख सकते हैं, तो मुझे लगता है कि मेरा काम पूरा हो गया. उन्होंने कहा कि राज्य में सोमवार को मतदान की शुरुआत बहुत सुखद रही, जब बर्दवान-दुर्गापुर सीट के दो विरोधी उम्मीदवार दिलीप घोष और तृणमूल के कीर्ति आजाद ने एक-दूसरे को बधाई दी और गले मिलते दिखे. लेकिन फिर कितनी तेजी से यह हिंसा और झड़प में बदल गया. इस पर देव ने कहा कि वह इस घटना से दुखी हैं. उन्होंने कहा : मुझे लगता है कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया है. मेरा मानना है कि नेताओं को सबसे पहले निर्णय लेना होगा और अपने व्यवहार, सार्वजनिक बोलचाल के तरीके और आचरण में बदलाव लाना होगा. तभी वे लोगों का समर्थन पा सकते हैं. अधिकारी ने कहा कि नेताओं को उनकी राजनीतिक संबद्धता के बावजूद पहले ””””कार्यकर्ताओं के बीच मित्रता”””” का संदेश फैलाना चाहिए. बंगाल की 18 सीटों पर हुए मतदान में देव ने तृणमूल की जीत का दावा किया.
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