बशीरहाट में काम नहीं आया संदेशखाली मुद्दा
बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीट में से एक संदेशखाली में स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन पर जबरन कब्जा करने की कथित घटनाएं भाजपा को इस सीट पर वांछित जीत दिलाने में विफल रही है.
कोलकाता. भाजपा को उम्मीद थी कि संदेशखाली की घटना से वह बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र में कड़ा राजनीतिक संदेश देगी, लेकिन उसकी सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया. खबर लिखे जाने तक भाजपा उम्मीदवार रेखा पात्रा तृणमूल कांग्रेस के अनुभवी नेता हाजी नुरुल इस्लाम से तीन लाख से अधिक वोट से पीछे चल रही थीं. बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीट में से एक संदेशखाली में स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन पर जबरन कब्जा करने की कथित घटनाएं भाजपा को इस सीट पर वांछित जीत दिलाने में विफल रही है.
चुनाव विशेषज्ञों के मुताबिक, बांग्लादेश के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बशीरहाट के मतदाताओं के लिए संदेशखाली का मुद्दा ‘बहुत स्थानीय’ था, जो लोगों पर असर नहीं डाल पाया. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने मौजूदा सांसद नुसरत जहां की जगह हाजी नुरुल इसलाम को अपना उम्मीदवार बनाया, जिन्होंने अपनी भावी जीत का श्रेय पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी को दिया. निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, बशीरहाट संसदीय सीट के लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल ने भाजपा से बेहतर प्रदर्शन किया है. बशीरहाट में 54 प्रतिशत से अधिक आबादी मुस्लिम है और यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रहा है. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार नुसरत को, इस सीट पर डाले गए कुल मतों का 54.56 प्रतिशत मत मिला था, जो पिछले रिकॉर्ड से थोड़ा कम था. गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार नुसरत जहां ने कुल 782,078 वोट हासिल किया था और 431,709 वोट के साथ भाजपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर थे. 2019 में तृणमूल कांग्रेस ने यहां 250369 वोटों से जीत हासिल की थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है