कोलकाता : चौतरफा मुश्किलों में घिरीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जल्द ही एक और झटका लग सकता है. तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य शिशिर अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. शिशिर अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के बागी विधायक एवं मंत्री और अब नंदीग्राम से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के पिता हैं.
शुभेंदु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही शिशिर अधिकारी को तृणमूल कांग्रेस ने दरकिनार कर रखा है. केंद्रीय मंत्री और कई बार के सांसद शिशिर अधिकारी को तृणमूल की बैठकों में भी आमंत्रित नहीं किया जा रहा. पिछले दिनों जब ममता बनर्जी की नंदीग्राम में रैली हुई थी, तब भी उनको नहीं बुलाया गया.
यहां तक कि ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी, इसकी घोषणा से पहले शिशिर से सलाह-मशविरा तक नहीं किया गया. तृणमूल कांग्रेस के इस व्यवहार से शिशिर काफी दिनों से क्षुब्ध हैं. दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस के बड़े नेता लगातार शिशिर अधिकारी पर हमले बोल रहे हैं. जंगलमहल के सबसे सीनियर नेताओं में शुमार शिशिर अपनी पार्टी के नेताओं के इस व्यवहार से बेहद परेशान हैं.
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उनका दर्द यह है कि ममता बनर्जी भी ऐसे लोगों को रोक नहीं रहीं हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि शिशिर ने भी अपने दो बेटों की राह पर चलने का मन बना लिया है. सूत्र बता रहे हैं कि 20 मार्च को जब पूर्वी मेदिनीपुर के कांथी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली होगी, तो उस रैली में शिशिर अधिकारी भाजपा का झंडा थाम लेंगे.
इस चर्चा को उस वक्त हवा मिली, जब भाजपा की सांसद लॉकेट चटर्जी ने पिछले दिनों शिशिर अधिकारी से उनके घर पर मुलाकात की. लॉकेट से पूछा गया कि क्या शिशिर अधिकारी भाजपा में शामिल हो रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि उनकी राजनीतिक बातचीत नहीं हुई है. लेकिन, यदि शिशिर दा भाजपा में आने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो भाजपा को इसका फायदा मिलेगा.
वहीं, शिशिर अधिकारी ने कहा है कि यदि उन्हें भाजपा से न्योता मिला और उनके बेटों ने अनुमति दी, तो वह पीएम मोदी की रैली में शामिल होने कांथी जायेंगे. शिशिर अधिकारी कांथी लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल के सांसद हैं. वहीं, उनके एक और बेटे दिव्येंदु अधिकारी तमलूक के सांसद हैं. शुभेंदु अधिकारी और उनके एक भाई सौमेंदु अधिकारी पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
पूर्वी मेदिनीपुर के अधिकारी परिवार का असर पूरे जंगलमहल में है. जंगलमहल में कई जिले आते हैं, जिसमें पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के अलावा मुस्लिम बहुल जिला मुर्शिदाबाद भी आता है. इन जिलों की कम से कम 40-45 विधानसभा सीटों पर इस परिवार का अच्छा-खासा प्रभाव है.
Posted By : Mithilesh Jha