जेयू के दोषी छात्रों को फिर दिया जायेगा कारण बताओ नोटिस
जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) ने उन छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है, जो रैगिंग की शिकायत में विश्वविद्यालय की जांच में दोषी पाये गये हैं.
संवाददाता, कोलकाता
जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) ने उन छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है, जो रैगिंग की शिकायत में विश्वविद्यालय की जांच में दोषी पाये गये हैं. इस घटना में पिछले साल एक छात्र की मौत हो गयी थी. कार्यकारी परिषद ने अपने प्रस्ताव में कहा कि गत एक दिसंबर की बैठक में एंटी-रैगिंग स्क्वॉड के निर्णय के आधार पर एंटी-रैगिंग समिति की सिफारिश को इस शर्त के साथ मंजूरी दी जाती है कि इसमें शामिल सभी छात्रों, पूर्व छात्रों और बाहरी लोगों को विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये जाने वाले कारण बताओ नोटिस के खिलाफ एंटी-रैगिंग समिति को जवाब देकर अपना बचाव करने का अवसर दिया जायेगा. एग्जीक्यूटिव काउंसिल, जो जेयू की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, ने तय किया कि अगर कारण बताओ नोटिस जारी करने वाले लोग किसी भी रूप में अपने बयान सहित कोई भी उपलब्ध सामग्री मांगते हैं, तो विश्वविद्यालय द्वारा ””””””””कानून के अनुसार”””””””” यह प्रदान की जायेगी. विश्वविद्यालय अगले सप्ताह फिर से कारण बताओ नोटिस जारी करेगा. जेयू के अंतरिम कुलपति भास्कर गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय प्रथम वर्ष के छात्र की कथित रैगिंग के कारण मृत्यु के 11 महीने बाद आया. रैगिंग विरोधी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य छात्रावास के पांच निवासी, जिनकी पहचान दुर्घटना के दौरान मुख्य छात्रावास के ब्लॉक ए/2 की दूसरी मंजिल पर “मौजूद ” होने के रूप में की गयी है, उन्हें चार सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया जा सकता है और जेयू छात्रावासों से स्थायी रूप से निष्कासित किया जा सकता है. इसमें यह भी सिफारिश की गयी है कि छात्रावास के 25 निवासियों को एक सेमेस्टर के लिए निष्कासित किया जाये और उन्हें छात्रावासों से स्थायी रूप से निष्कासित किया जाये.
, क्योंकि वे सीधे तौर पर रैगिंग को बढ़ावा देने से जुड़े थे. कार्यकारी परिषद के एक सदस्य ने बताया कि यह निराशाजनक है कि विश्वविद्यालय ने कार्रवाई करने में इतना समय लगा दिया. इतने महीनों के बाद भी विश्वविद्यालय ने केवल कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला किया है. मृतक छात्र के पिता भी इस धीमी प्रक्रिया से काफी निराश हैं.
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