सिलीगुड़ी/ जलपाईगुड़ी. चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने तथा विभिन्न बंद चाय बागानों को खुलवाने की मांग को लेकर चाय श्रमिकों के विभिन्न ट्रेड यूनियनों के ज्वाइंट फोरम की हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला. सोमवार को तराई तथा डुवार्स के बहुत से चाय बागानों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा. कई जगह काम आंशिक रूप से प्रभावित हुआ. वहीं कई चाय बागान पूरी तरह खुले रहे. सिलीगुड़ी के पास सुकना तथा दागापुर इलाके के कुछ चाय बागानों में कामकाज होने की भी खबर है. किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए सभी चाय बागानों के सामने सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किये गये थे.
इंटक नेता तथा नेशनल यूनियन ऑफ प्लांटेशन वर्कर्स के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने बंद को पूरी तरह से सफल बताया है. उन्होंने एक बार फिर से चाय श्रमिकों की मांगों को सही ठहराया एवं तमाम मांगें जल्द पूरी करने की मांग सरकार से की है. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर धमकी देने का भी आरोप लगाया. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि चाय बागानों में बंद को विफल करने के लिए तृणमूल कांग्रेस के समर्थक चाय श्रमिकों को काम करने के लिए धमका रहे थे. उसके बाद ही चाय श्रमिक इस बंद में शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि न केवल चाय बागानों बल्कि चाय श्रमिकों की हालत भी काफी खराब है. न्यूनतम मजदूरी अब तक तय नहीं की गई है. इसको लेकर कई बार आंदोलन किये जाने के बाद भी कोई लाभ नहीं हुआ है. बाध्य होकर चाय श्रमिक बंद में उतरे हैं. इसके साथ ही श्री चक्रवर्ती ने इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को आहूत आम हड़ताल में शामिल नहीं होने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि इंटक तथा एनयूपीडब्ल्यू इस हड़ताल में शामिल नहीं होगी.
करलावैली, डेंगुआझार में पुलिस पर आरोप: हड़ताल कर रही यूनियनों का आरोप है कि जलपाईगुड़ी शहर से लगे डेंगुआझार और करलावैली चाय बागान में पुलिस ने जबरन हड़ताल को तुड़वाया. श्रमिकों ने इसका विरोध किया और कुछ समय तक पुलिस को घेर कर रखा. ज्वाइंट फोरम के श्रमिक नेता सोमवार को सुबह सात बजे से ही करलावैली और डेंगुआझार चाय बागानों में श्रमिकों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. बागान का फैक्टरी गेट बंद करके उसके आगे प्रदर्शन किया जा रहा था. इसी दौरान जलपाईगुड़ी कोतवाली थाने के आइसी विश्वाश्रय सरकार के नेतृत्व में पुलिस इन चाय बागानों में पहुंची और हड़ताल में शामिल श्रमिकों को वहां से हटाया. पुलिस का कहना है कि जो श्रमिक काम करना चाहते थे, उनके काम में कोई बाधा न डाले, इसके लिए व्यवस्था की गयी. लेकिन हड़ताल कर रहे श्रमिकों का आरोप है कि करलावैली चाय बागान में पुलिस ने उन्हें गेट से बलपूर्वक हटाया. बागान के आदिवासी विकास परिषद के नेता राजू सहनी ने दावा किया कि ये दोनों चाय बागान पूरी तरह बंद रहे. पुलिस की मदद के बावजूद कोई श्रमिक काम पर नहीं गया.
55 प्रतिशत बागान खुले रहे : चाय उद्योग से जुड़े विभिन्न सूत्रों ने बताया कि आंशिक और संपूर्ण रूप से करीब 44 प्रतिशत बागान बंद रहे. वहीं जो बागान पूरी तरह से या आंशिक रूप से खुले रहे, उनकी संख्या 55 प्रतिशत है. बाकी एक प्रतिशत चाय बागानों में पहले से ही छुट्टी घोषित कर दी गयी थी. जो चाय बागान आंशिक रूप से खुले रहे, उनमें चामुर्ची, डिमा, तोतापाड़ा, नेपुचापुर, गोपालपुर, भांडीगुड़ी आदि शामिल हैं. संपूर्ण रूप से खुले चाय बागानों में एथेलबाड़ी, ग्रासमोड़, शिकारपुर, जीती आदि हैं. जो बागान पूरी तरह बंद रहे उनमें बिन्नागुड़ी, सिंघानिया, सरस्वतीपुर, माकरापाड़ा, इंगो, उदलाबाड़ी शामिल हैं.
ज्वाइंट फोरम की पुलिस को चेतावनी : ज्वाइंट फोरम के प्रवक्ता जियाउर आलम ने कहा कि राज्य सरकार ने पुलिस बल का इस्तेमाल करके चाय श्रमिकों की हड़ताल विफल कराने की कोशिश की. लेकिन उसकी मंशा पूरी नहीं हो पायी. उन्होंने कहा कि एक के बाद एक न्यूनतम मजदूरी को लेकर हुई बैठकें व्यर्थ साबित हुई हैं. ऐसे में श्रमिकों के पास क्या उपाय है. उन्होंने बंद के पूरी तरह से सफल रहने का दावा किया. जीआउर आलम ने पुलिस को चेतावनी दी कि वह मंगलवार को उत्तर बंगाल के चाय बागान बहुल इलाकों में बुलायी गयी 12 घंटे की आम हड़ताल में बाधा डालने की कोशिश न करे. उन्होंने कहा कि सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक बंद रखने का आह्वान किया गया था, लेकिन रमजान के चलते समय में कुछ बदलाव किया गया है. अब बंद को शाम चार बजे ही खत्म कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि सभी जरूरी सेवाएं बंद से मुक्त रहेंगी.
‘हड़ताल उचित नहीं’ : तृणमूल के चाय श्रमिक नेता तथा विधायक शुकरा मुंडा ने बताया कि राज्य सरकार न्यूनतम मजदूरी के लिए विचार कर रही है. ऐसे में चाय उद्योग में हड़ताल करना उचित नहीं है. उन्होंने दावा किया कि बंद का चाय बागानों में कोई असर नहीं रहा.
इंडियन टी प्लांटर्स एसोसिएशन के मुख्य सलाहकार अमृतांशु चक्रवर्ती ने कहा कि मजदूरी समझौते को लेकर राज्य सरकार मालिक पक्ष और श्रमिकों के बीच चरचा जारी है. ऐसे में हड़ताल की जरूरत नहीं थी. राज्य सरकार ने बंद को अवैध घोषित किया था, इसके बावजूद चाय उद्योग बंद कराये जाने से क्या संदेश जायेगा, यह तो भविष्य ही बतायेगा.
इंडियन टी एसोसिएशन के उत्तर बंग सचिव डॉक्टर रामअवतार शर्मा ने बताया कि जब बातचीत चल रही है, तो बातचीत ही होनी चाहिए. अन्य किसी कदम की जरूरत नहीं है.
प्रशासन आज भी रहेगा पूरी तरह सतर्क : डीएम
जलपाईगुड़ी जिला अधिकारी रचना भगत ने बताया कि राज्य सरकार ने चाय उद्योग में हड़ताल को अवैध घोषित किया है. इसलिए जो चाय श्रमिक काम करना चाह रहे थे, उन्हें पुलिस व प्रशासन की मदद दी गयी. बीडीओ और श्रम अधिकारियों को चाय बागानों में नजर रखने के लिए भेजा गया था. कहीं किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है. मंगलवार को आम हड़ताल के दौरान भी जनजीवन स्वाभाविक रहे, इसके लिए पुलिस प्रशासन पूरी चौकसी बरतेगा.