पहाड़ पर खाद्य सामग्री आपूर्ति न करने का फरमान
सिलीगुड़ी : गोरखालैंड विरोधी आंदोलन ने अब उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी सिलीगुड़ी के नयाबाजार के गल्ला कारोबारियों को आतंकित कर दिया है. कारोबारियों में यह आतंक पहाड़ पर खाद्य सामग्रियां आपूर्ति न करने की जारी फरमान के बाद फैला है और यह फरमान ‘जय बांग्ला’ नामक एक संगठन की ओर से जारी […]
सिलीगुड़ी : गोरखालैंड विरोधी आंदोलन ने अब उत्तर बंगाल की सबसे बड़ी गल्ला मंडी सिलीगुड़ी के नयाबाजार के गल्ला कारोबारियों को आतंकित कर दिया है. कारोबारियों में यह आतंक पहाड़ पर खाद्य सामग्रियां आपूर्ति न करने की जारी फरमान के बाद फैला है और यह फरमान ‘जय बांग्ला’ नामक एक संगठन की ओर से जारी किया गया है. इसके लिए संगठन के नाम से परचा छपवाया गया है और संगठन द्वारा इन परचों को नयाबाजार के कारोबारियों के बीच बांटा भी गया है.
परचे बांटने के बाद गल्ला कारोबारियों के बीच आतंक का माहौल भी व्याप्त हो गया है. इसे लेकर पूरी गल्ला मंडी में तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. जय बांग्ला संगठन के कार्यकर्ताओं की शनिवार को पुलिस प्रशासन के सहयोग से गल्ला कारोबारियों के संगठन सिलीगुड़ी मर्चेंट्स एसोसिएशन (एसएमए) के पदाधिकारियों के साथ खालपाड़ा स्थित एसएमए भवन में एक गुप्त मीटिंग भी हुई.
इस मीटिंग में संगठन के कार्यकर्ताओं ने दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को बंगाल का अभिन्न हिस्सा करार दिया और बंगाल की भावनाओं का हवाला देते हुए कारोबारियों से दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र ही नहीं, बल्कि सिक्किम में भी खाद्य आपूर्ति न करने की गुजारिश की. संगठन का कहना है कि अगर पहाड़ पर पूरी तरह से खाद्य आपूर्ति बंद कर दी जाये तो गोरखालैंड आंदोलन धीरे-धीरे खुद ही थम जायेगा और गोरखालैंड के नाम पर राजनैतिक रोटी सेंकनेवाले मोरचा नेताओं की शक्ति भी अपने-आप ही कमजोर पर जायेगी.
मीटिंग में मौजूद एसएमए के पदाधिकारियों ने भी बांग्ला भाषा-संस्कृति और बंगाली भावनाओं पर एकमत जताते हुए संगठन की मांग को मंजूर कर लिया. साथ ही पहाड़ पर गल्ले मालों की आपूर्ति न करने का आश्वासन भी दिया. दूसरी ओर आतंकित कारोबारियों का कहना है कि गोरखालैंड आंदोलन को लेकर कारोबारी दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. एकतरफ खाई है तो दूसरी तरफ कुंआ. अगर पहाड़ पर गल्ले मालों की आपूर्ति कारोबारी बंद कर देंगे तो पहाड़ के कारोबारी उनका बकाया अटका देंगे. दूसरी तरफ बंगाल भी हमारी भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है. हम करें तो क्या करे समझ नहीं आ रहा. विदित हो कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र पर अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर जारी हिंसक आंदोलन के बाद अब सिलीगुड़ी समेत पूरे समतल क्षेत्र में भी गोरखालैंड विरोधी आंदोलन की बिगुल भी बीते कई रोज से बजने लगी है.
कच्चे माल लदे कई वाहन पुलिस ने किये जब्त
शनिवार की रात में सिलीगुड़ी से पहाड़ जा रहे, कच्चे माल लदे कई वाहनों को भी सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने जब्त भी किया है. इन वाहनों को प्रधाननगर थाना की पुलिस ने दार्जिलिंग मोड़ इलाके से जब्त किया. इस दौरान वाहनों से जब्त किये गये माल के मालिक भी वाहन पर सवार थे. इसे लेकर माल के मालिकों का कहना है कि पहाड़ पर इन दिनों आंदोलन के वजह से हाट-बाजार सभी बंद पड़े हैं. घर में एक अनुष्ठान है इसलिए वह इन सामानों को सिलीगुड़ी से खरीदकर अपने साथ ही पहाड़ ले जा रहे हैं. इन सामानों में चावल, दाल, मसाला के अलावा साग-सब्जी व डिस्पोजेबल ग्लास-थाली-प्लेट हैं. कार्सियांग में रहनेवाली एक महिला ने ऐसा ही कुछ बयान कल रात को प्रधाननगर थाना की पुलिस के सामने ही मीडिया को दिया.
क्या कहना है पुलिस कमिश्नर का
बीती रात की घटनाक्रम को लेकर सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के कमिश्नर (सीपी) नीरज कुमार सिंह का कहना है कि पहाड़ जा रही खाद्य सामग्री और कच्चे माल लदे तीन वाहनों को पुलिस ने जब्त किया है. गोरखालैंड विरोधी आंदोलनकारियों के सुर में सुर मिलाते हुए श्री सिंह ने भी स्वीकार किया है कि अगर पहाड़ पर खाद्य आपूर्ति बंद हो जाये तो आंदोलन खुद थम जायेगा. साथ ही पुलिस का नाका चेकिंग अभियान नियमित रूटिंग के तहत लगातार जारी भी रहेगा.
खाद्य आपूर्ति पर नहीं लगायी रोक : डीएम
दार्जिलिंग जिला अधिकारी (डीएम) जयश्री दासगुप्त ने दावे के साथ कहा है कि जिला प्रशासन की ओर से पहाड़ पर खाद्य आपूर्ति पर कोई रोक नहीं लगायी है और न ही इस पर कभी रोक लगायी जा सकती है.
यह मानवाधिकार के तहत गैरकानूनी भी है. जयश्री का कहना है कि पहाड़ पर खाद्य सामग्री लानेवाले वाहनों की सुरक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है. ताकि पिछले दिनों कालिम्पोंग गामी एक वाहन में हुई तोड़-फोड़ और आगजनी जैसी घटनाएं दोबारा घटित न हों. खासकर ड्राइवरों की सुरक्षा पर विशेष तौर पर जोर दिया जा रहा है.