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दार्जिलिंग से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन, राजनाथ के आवास तक पहुंचे गोरखालैंड आंदोलनकारी

दार्जिलिंग : गोरखालैंड आंदोलन के 25वें दिन रविवार को दार्जिलिंग में फिर से हिंसा भड़क गयी. आंदोलनकारियों ने एक पुलिस शिविर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गये. इसके अलावा, पोकरीबोंग में एक बीडीओ कार्यालय पर भी हमला किया गया. गोरखालैंड आंदोलन के दौरान शनिवार को पुलिस की गोली से […]

दार्जिलिंग : गोरखालैंड आंदोलन के 25वें दिन रविवार को दार्जिलिंग में फिर से हिंसा भड़क गयी. आंदोलनकारियों ने एक पुलिस शिविर को आग के हवाले कर दिया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गये. इसके अलावा, पोकरीबोंग में एक बीडीओ कार्यालय पर भी हमला किया गया.
गोरखालैंड आंदोलन के दौरान शनिवार को पुलिस की गोली से मारे गये दो आंदोलकारियों की शवयात्रा रविवार को निकाली गयी. इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग नम आंखों के साथ शवयात्रा में शामिल हुए. शनिवार को बिगड़े हालात के बाद से एक बार फिर पूरे दार्जिलिंग शहर में सेना को तैनात किया किया गया है. शवयात्रा के दौरान तेज बारिश हो रही थी, फिर भी बड़ी संख्या में गोरखालैंड समर्थक छाता लेकर शामिल हुए.
शुक्रवार रात सोनादा बाजार में एक गोरखालैंड समर्थक टासी भूटिया की पुलिस की गोली से मौत हो गयी थी. शनिवार की सुबह गोरखालैंड समर्थक टासी भूटिया का शव एक गाड़ी में रखकर शवयात्रा निकाली जा रही थी, तभी आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच भिड़ंत शुरू हो गयी. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. इससे उग्र हुए गोरखालैंड समर्थकों ने सोनादा बजार के ट्रैफिक पुलिस बूथों में तोड़फोड़ की.
इस घटना की खबर फैलते ही दार्जिलिंग शहर में भी गोरखालैंड समर्थक उग्र हो उठे. उन्होंने सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाना शुरू किया. दार्जिलिंग शहर के लाडेनला रोड के पास पुलिस की एक गाड़ी को आग लगा दी गयी. पुलिस पर पथराव किया गया. सदर टाउन ट्रैफिक ऑफिस पर हमला बोलकर वहां रखी मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया गया.
जिला अधिकारी कार्यालय के मुख्य द्वार और लेबुंग कार्ड रोड पर पुलिस की गाड़ियों को जलाया गया. बेकाबू हालात को देखते हुए पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले दागे और फिर फायरिंग की. दार्जिलिंग शहर में पुलिस फायरिंग में एक आंदोलनकारी सूरज भूसाल की मौत हो गयी. इसी दौरान सिंहमारी में स्थिति और उग्र होने लगी. वहां पुलिस की गोली से समीर गुरूंग की मौत हो गयी. सूरज भुसाल का घर दार्जिलिंग के चुंगथुंग मे है, जबकि समीर गुरूंग सिंहमारी रोपवे का रहनेवाला था. इन दोनों के पार्थिव शरीर को लेकर रविवार दोपहर करीब एक बजे शवयात्रा निकाली गयी. शवयात्रा ने चौरस्ता से शुरू होकर नेहरू रोड, लाडेनला रोड, एनएच 55 से होते हुए पूरे शहर की परिक्रमा की. सुरज भुसाल का अंतिम संस्कार आलूबारी श्मशान घाट में हुआ, जबकि समीर गुरूंग का अंतिम संस्कार सिंहमारी के भोटे धारा श्मशान में किया गया.
बारिश के बीच गोरखालैंड आंदोलनकारियों ने निकाली शवयात्रा दार्जिलिंग में तैनात है सेना
राजनाथ के आवास तक पहुंचा गोरखालैंड आंदोलन
सिलीगुड़ी/नयी दिल्ली : गोरखालैंड आंदोलन अब केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. गोरखालैंड समर्थकों ने शनिवार शाम को दिल्ली में राजनाथ सिंह के आवास के बाहर धरना दिया. वे पहाड़ पर हो रही मौतों का विरोध करते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग और पश्चिम बंगाल के गृह सचिव से बात की है. एनएच 10 पर कोई बाधा न आये, इसे लेकर बातचीत हुई है. उधर, केंद्रीय मंत्री तथा दार्जिलिंग के सांसद सुरेंद्र सिंह अहलुवालिया ने राज्य सरकार पर पहाड़वासियों के मौलिक अधिकार के हनन का आरोप लगाया है.
दार्जिलिंग पहाड़ पर पिछले 25 दिनों के आंदोलन के दौरान अब तक छह मौतें हो चुकी हैं. इससे आक्रोशित दिल्ली में रह रहे गोरखा समुदाय के लोगों ने केंद्रीय गृहमंत्री के आवास के बाहर धरना दिया. आंदोलनकारियों का कहना पहाड़ की स्थिति राज्य सरकार के हाथ से निकल चुकी है. पहाड़ पर शांति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार को हस्तेक्षप करना चाहिए. यह नहीं, गोरखालैंड समर्थकों ने अलग राज्य की अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने और पश्चिम बंगाल में फौरन राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए 110 मीटर लंबे एक राष्ट्रीय झंडे के साथ रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में मार्च किया.
गोरखा संयुक्त संघर्ष समिति (जीएसएसएस) ने तत्काल प्रभाव से अर्द्धसैनिक बल हटाने के लिए केंद्र के हस्तक्षेप की यहां मांग की. जीएसएसस प्रमुख किरन बीके ने बताया, ‘पश्चिम बंगाल सरकार आम लोगों से आतंकवादी की तरह सलूक कर रही है और उनकी हत्या कर रही है. केंद्र सरकार को अर्द्धसैनिक बल हटा देना चाहिए और डीजीपी की सेवाएं बरखास्त कर देनी चाहिए.’ प्रदर्शनकारियों ने झंडा लेकर राजघाट से जंतर मंतर मार्च कर अलग राज्य के लिए 110 साल के अपने संघर्ष को प्रदर्शित किया. मार्च जंतर मंतर पर संपन्न हुआ जहां वे लोग अपने सह समर्थकों से मिले जो तीन हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे थे.
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री तथा दार्जिलिंग के भाजपा सांसद एसएस अहलुवालिया ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए राज्य सरकार पर मौलिक अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है.
श्री सिंह ने अपने बयान में कहा कि पिछले तीन हफ्तों में राज्य पुलिस के हाथों पहाड़ पर छह लोगों की मौत हो चुकी है. यह काफी दुर्भाग्यापूर्ण हैं. गोरखाओं ने हमेशा देश के प्रति अपना प्यार व वफादारी साबित की है. आज उन्हीं को राज्य सरकार की दमनकारी नीति व उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पहाड़वासियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया है. श्री सिंह ने आगे है कि राज्य के एक हिस्से में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति बंद कराना नागरिकों के मौलिक अधिकार का हनन है. आंदोलनकारियों से अपील करते हुए श्री सिंह ने कहा कि संघर्ष से जान-माल की क्षति के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होगा. त्रिपक्षीय वार्ता के अलावा इस समस्या का दूसरा समाधान नहीं है.

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