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सिलीगुड़ी में गोरखालैंड आंदोलन से मूर्तिकारों की चिंता बढ़ी

अभी तक पहाड़ से एक भी मूर्ति का ऑर्डर नहीं आया हर साल करीब 1000 सेट मूर्तियां पहाड़ पर जाती हैं मूर्तिकारों ने इस बार नुकसान की आशंका जतायी सिलीगुड़ी : आज से हिंदुओं के पावन महीने सावन की शुरुआत हो गयी है. इसी के साथ त्योहारों ने दस्तक दे दी है. दुर्गापूजा को अब […]

अभी तक पहाड़ से एक भी मूर्ति का ऑर्डर नहीं आया

हर साल करीब 1000 सेट मूर्तियां पहाड़ पर जाती हैं

मूर्तिकारों ने इस बार नुकसान की आशंका जतायी

सिलीगुड़ी : आज से हिंदुओं के पावन महीने सावन की शुरुआत हो गयी है. इसी के साथ त्योहारों ने दस्तक दे दी है. दुर्गापूजा को अब मात्र दो माह शेष रह गये हैं. लेकिन सिलीगुड़ी के मूर्तिकारों का उत्साह फीका लग रहा है.

वे नुकसान की आशंका से चिंतित हैं. गोरखालैंड आंदोलन की वजह से इस बार पहाड़ पर दुर्गापूजा प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है. नुकसान से बचने के लिए सिलीगुड़ी कुम्हार टोली के मूर्तिकारों ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक विनम्र प्रस्ताव भेजा है. दुर्गापूजा बंगाल का सबसे बड़ा पर्व है. पहाड़ के नागरिक भी आस्था व विश्वास के साथ मां दुर्गा की पूजा करते हैं. प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के साथ दुर्गापूजा की तैयारी शुरू कर दी जाती है. कुम्हार भी मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करने मे जुट जाते हैं. लेकिन गोरखालैंड आंदोलन की वजह से पहाड़ की मौजूदा स्थिति को देखकर सिलीगुड़ी के मूर्तिकार चिंतित हैं.

सिलीगुड़ी महकमा में मूर्तिकारों के दो बड़े इलाके हैं. एक सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर चार स्थिति कुम्हार टोली और दूसरा सिलीगुड़ी के निकट माटीगाड़ा स्थित पाल पाड़ा

इसके अतिरिक्त शहर से सटे देवीडांगा, बागडोगरा, नक्सलबाड़ी आदि इलाके में भी मूर्तिकार हैं. विश्वकर्मा पूजा से लेकर लक्ष्मी पूजा तक त्योहारों की धूम रहती है. दार्जीलिंग, कालिम्पोंग, कर्सियांग, मिरिक सहित पड़ोसी राज्य सिक्किम में भी दुर्गा व काली पूजा बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है. पहाड़ की पूजा के लिए भी प्रतिमा सिलीगुड़ी में ही बनवायी जाती है.

मिली जानकारी के अनुसार, प्रतिवर्ष मां दुर्गा सहित कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी व सरस्वती की एक हजार से अधिक सेट प्रतिमा पहाड़ पर भेजा जाता है. पहाड़ व सिक्किम की पूजा कमिटियां रथयात्रा के बाद सिलीगुड़ी की कुम्हार टोली व पाल पाड़ा के मूर्तिकारों को प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दे जाती हैं. लेकिन इस बार अब तक सिलीगुड़ी के मूर्तिकारों को पहाड़ का एक भी ऑर्डर नहीं मिला है. सिलीगुड़ी के मूर्तिकार भारी नुकसान की आशंका जता रहा है.

मूर्तिकारों का कहना है कि दुर्गा व काली पूजा के लिए प्रतिमा बनाने की तैयारी तीन माह पहले से ही कर ली जाती है. पिछले वर्ष की मांग के आधार पर मिट्टी व प्रतिमा बनाने की अन्य सामग्री मंगा ली जाती है. इस बार भी कुम्हारों ने पूरी तैयारी कर रखी है. लेकिन पहाड़ की एक भी पूजा कमिटी ने अब तक ऑर्डर नहीं दिया है. जबकि सिलीगुड़ी व आसपास की पूजा कमिटियों ने प्रतिमा का ऑर्डर दे दिया है.

माटीगाड़ा स्थित पाल पाड़ा के एक मूर्तिकार विश्वजीत पाल ने बताया कि सिलीगुड़ी व आसपास की पूजा कमिटियों का ऑर्डर मिलने लगे हैं. लेकिन पहाड़ व सिक्किम से अब तक एक भी ऑर्डर नहीं मिला है. प्रति वर्ष एक हजार से अधिक प्रतिमा पहाड़ पर भेजी जाती है. उसी के अनुसार इस बार भी कुम्हारों ने प्रतिमा बनाने की तैयारी कर रखी है. लेकिन आंदोलन की वजह से इस बार भारी नुकसान होने के आसार हैं.

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