गैंडों की सुरक्षा को लेकर बनाये गये दो वाच टॉवर

लाटागुड़ी. गोरूमारा नेशनल पार्क में रहने वाले गैंडों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने दो वाच टॉवरों का निर्माण किया है. इन टॉवरों के जरिये वनकर्मी 24 घंटे गैंडों और अन्य वन्य प्राणियों पर निगरानी रख सकते हैं. गौरतलब है कि विगत 19 अप्रैल को गोरूमारा के जंगल के गरातीबीच इलाके में दो सींग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2017 10:18 AM
लाटागुड़ी. गोरूमारा नेशनल पार्क में रहने वाले गैंडों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने दो वाच टॉवरों का निर्माण किया है. इन टॉवरों के जरिये वनकर्मी 24 घंटे गैंडों और अन्य वन्य प्राणियों पर निगरानी रख सकते हैं. गौरतलब है कि विगत 19 अप्रैल को गोरूमारा के जंगल के गरातीबीच इलाके में दो सींग कटे गैंडे मृत अवस्था में मिले थे.

उसके बाद से ही वन्य प्राणियों की निगरानी तेज कर दी गयी है. इस घटना के बाद वन मंत्री विनय कृष्ण बर्मन गोरूमारा पहुंचे थे. उनके निर्देश के मुताबिक ही गैंडों समेत वन्य प्राणियों की निगरानी बढ़ा दी गयी है.

गैंडों की मृत्यु के मामले की जांच से पता चला है कि उक्त घटना में असम के पशु तस्करों का हाथ था. इसके अलावा जिस रूट से गैंडों का शिकार करने के लिए तस्कर आये थे उसका भी पता लगा लिया गया है.

उल्लेखनीय है कि लाटागुड़ी से चालसा जानेवाले 31 नंबर राष्ट्रीय राजमार्ग के दाहिने ओर गोरूमारा चेकपोस्ट तक और मूर्ति ब्रिज से शुरू होकर एनएच-31 के किनारे जलढाका ब्रिज तक के जंगल गोरूमारा नेशनल पार्क अंतर्गत आते हैं. यह पार्क 78.45 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सूत्र के अनुसार, शिकारियों का गिरोह असम से आकर गैरकाटा होते हुए नाथुआ में टानटानी नदी पाकर सुलकापाड़ा में जीरो बांध के निकट स्थित मॉडल विलेज में आश्रय लिया था. वहीं से वे 10 मिनट के पैदल रास्ते चलकर गोरूमारा के गैंडों के निवास स्थल पर पहुंचे थे. वहीं से उन्होंने शिकार का संचालन किया था. जानकारों की मानें तो गोरूमारा नेशनल पार्क के विपरीत दिशा में चूंकि जलढाका नदी है, इसलिए उस पर चौकस निगरानी रखना वनकर्मियों के लिए मुमकिन नहीं होता था. और इसी खामी का शिकारियों के गिरोह ने भरपूर इस्तेमाल किया. इसलिए अब से जलढाका नदी की तरफ ही निगरानी तेज कर दी गई है.

गोरूमारा वन्य प्राणी डिवीजन के सहायक वनाधिकारी राजू सरकार ने बताया कि वर्तमान में गोरूमारा नेशनल पार्क में छोटे-बड़े मिलाकर 52 गैंडे हैं. इन गैंडों का इनकी शारीरिक बनावट के आधार पर नामकरण भी किया गया है. जैसे कानहेला, हारा सींग इत्यादि. इसी के आधार पर वनकर्मियों को इन गैंडों से परिचित कराया जा रहा है, ताकि उन पर नजर रख सकें. वहीं पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यदि अभी तक वनकर्मी इन गैंडों से परिचित ही नहीं थे, तो वे इन पर निगरानी कैसे रख रहे थे, यह सवाल महत्वपूर्ण है. वहीं वन मंत्री विनय कृष्ण बर्मन का कहना है कि गोरूमारा के गैंडों की सुरक्षा में कोई भी लापरवाही बरदाश्त नहीं की जायेगी. मंत्री ने गैंडों समेत अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर भी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये हैं.

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