सिलीगुड़ी : अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे लोगों के फिर से आंदोलित और हिंसक होने की आशंका जाहिर की जा रही है. दार्जीलिंग के पूलबाजार थाना इलाके में स्थित नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के गोदाम से 13 पैकेट विस्फोटक की लूट के बाद से यह आशंका और बढ़ गयी है. बताया गया है कि इन पैकेटों में 425 किलो जिलेटिन की छड़ें थीं. बिजली बनानेवाली कंपनियां इन विस्फोटकों का इस्तेमाल पहाड़ तोड़ने में करती हैं.
एनटीपीसी ने इस संबंध में शुक्रवार को पूलबाजार थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करायी. एनटीपीसी ने कहा है कि इस घटना के बाद से उसके अलावा नेशनल हाइड्रो इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन (एनएचपीसी), राज्य जलविद्युत उत्पादन निगम जैसी संस्थाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. ये सभी कंपनियां जिलेटिन के साथ-साथ डेटोनेटर का भी इस्तेमाल करती हैं.
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यहां तक कि सड़क निर्माण में लगी कंपनियां भी पहाड़ तोड़ने के लिए जिलेटिन और डेटोनेटर का इस्तेमाल करती हैं. हालांकि, एनटीपीसी, एनचएपीसी और राज्य जलविद्युत उत्पादन निगम जैसी संस्थाअों के अपने सुरक्षाकर्मी हैं, लेकिन इस तरह की लूट को रोक पाना मुश्किल होगा.
सूत्रों के मुताबिक, एनटीपीसी के सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर इस लूटकांड को अंजाम दिया गया. बताया गया है कि एनटीपीसी के गोदाम के पीछे एक विस्फोट किया गया. विस्फोट की आवाज सुन कर सुरक्षाकर्मी उधर गये. उन्होंने देखा कि और चेहरे पर काला कपड़ा बांध कर आये कुछ अपराधी विस्फोटकों के पैकेट गाड़ी में डाल रहे हैं.
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सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो अपराधियों ने खुखरी दिखा कर उन्हें डराया और खुद से दूर रहने के लिए मजबूर कर दिया. कंपनी का मानना है कि महज 6-7 लागों ने जिस तरह से घटना को अंजाम दिया है, यह डरानेवाला है. अवाक् कर देनेवाला है. साथ ही यह भी कहा कि पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने के मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखायी है. इससे कंपनियों की चिंता और बढ़ गयी है.
हालांकि, पूलबाजार के थाना प्रभारी ने एनटीपीसी के गोदाम की जांच की, लेकिन लूटे गये जिलेटिन के पैकेटों का पता नहीं लगा पाये. पुलिस को इस बात की आशंका सता रही है कि कहीं इन विस्फोटकों का इस्तेमाल अलग गोरखालैंड राज्य की मांग के समर्थन में आंदोलन को तेज करने के लिए तो नहीं किया गया है.
विस्फोटकों की लूट की खबर से प्रशासनिक अधिकारी भी हिल गये हैं. पहाड़ पर पुलिस और प्रशासन को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है. हालांकि, गोरखा जनमुक्ति मोरचा ने इस बात से इनकार किया है कि उसके कार्यकर्ताअों ने इस घटना को अंजाम दिया है.
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मोरचा के महासचिव रोशन गिरि ने कहा कि वह दिल्ली में हैं. इस संबंध में कुछ कह नहीं सकते. लेकिन, इतना जरूर कहेंगे कि यह काम मोरचा का नहीं है. मोरचा के लोग ऐसा क्यों करेंगे? लेकिन, पुलिस का कहना है कि हो न हो, किसी न किसी रूप में यह अलग गोरखालैंड की मांग पर आंदोलन कर रहे किसी धड़े का ही काम है.