गोरखालैंड आंदोलन विरोधी लड़ाई में अब कूदा जनता दल यूनाइटेड कहा, विमल गुरूंग को चुकाना होगा हिसाब
सिलीगुड़ी. अब गोरखालैंड विरोधी राजनैतिक लड़ाई के मैदान 40 दिनों के बाद जनता दल (यूनाइटेड) कहने का मतलब जदयू भी कूद पड़ा है. सोमवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता आयोजित कर जदयू के नेताओं ने इस राजनैतिक लड़ाई में मीडिया के सामने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी. पार्टी के दार्जिलिंग जिला इकाई के अध्यक्ष भूषण […]
श्री सोनी ने हुंकार भरते हुए कहा कि आंदोलन के नाम पर पहाड़ पर नष्ट किये जा रहे ऐतिहासिक धरोहर व सरकारी संपत्तियां गोजमुमो की नहीं है. ये सभी संपत्तियां बंगाल में रहनेवाली आम जनता और सरकार की है. इसका पायी-पायी का हिसाब मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग को देना होगा. श्री सोनी ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर पहाड़ को बंगाल से अलग नहीं होने देंगे.
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र बंगाल का दिल ही नहीं, बल्कि विश्व मानचित्र पर बंगाल और भारत का मान है. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग भारत में देशी-विदेशी सैलानियों का पहला पसंदीदा पर्यटन केंद्र है. यहां के पर्यटन एवं उससे जुड़े उद्योगों पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से लाखों लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है. लेकिन लगातार आंदोलन की वजह से पहाड़ से समतल तक के लोगों की जिंदगी नारकीय हो गयी है. उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार एकमात्र मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग को ठहराया, साथ ही उनकी जल्द गिरफ्तारी की वकालत की. उपाध्यक्ष हरद्वार सिंह ने यह दावा करते हुए कहा कि गोरखालैंड की मांग असंवैधानिक है. जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे तभी गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर गोरामुमो सुप्रीमो सुभाष घीसिंग ने भी उनसे वकालत की थी. लेकिन बाजपेयी ने केवल एक सांसदीय क्षेत्र के बल पर अलग राज्य गठन करने के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया था. श्री सिंह का कहना है कि राज्य सरकार के पहल पर जब पहाड़ के विकास के लिए जीटीए गठित किया गया तब भी इसका सबसे पहले विरोध एक मात्र जदयू ने किया था.
जबकि जीएमसीसी सदस्यों को कहना है कि दिल्ली में मोरचा के साथ ही जीएमसीसी के सदस्यों की भी भागीदारी हो.इससे पहले ही जीएमसीसी में शामिल हर्क बहादुर के तेनृत्व वाली जन आंदोलन पार्टी ने गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. नाम लिये बगैर इसके नेता हर्क बहादुर छेत्री ने सिलीगुड़ी में कहा था कि जीएमसीसी द्वारा कोई रणनीति तय करने से पहले ही गोजमुमो की ओर से नये आंदोलन का ऐलान कर दिया जाता है. आमरण अनशन करने को लेकर जीएमसीसी में कोई बातचीत नहीं हुई और गोजमुमो ने एक तरफा तरीके से आमरण अनशन का ऐलान कर दिया है. हर्क बहादुर छेत्री सिलीगुड़ी में पिछले दिनों संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि गोजमुमो नेता पहाड़ के लोगों का भरोसा खो चुके हैं.
यही वजह है कि गोरखालैंड आंदोलन पर अब उनका नियंत्रण नहीं रहा है. वह चाह कर भी आंदोलनकारियों को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं. इसी वजह से पहाड़ पर हिंसक घटनाएं हो रही है. एक तरह से कहा जाए तो पूरे गोरखालैंड आंदोलन को लेकर पहाड़ की आम लोगों ने हाईजैक कर लिया है. अब चाह कर भी कोई आम लोगों को नियंत्रित नहीं कर सकता. इसके साथ ही वर्तमान गोरखालैंड आंदोलन के दौरान ही पहाड़ पर एक नये नेतृत्व के भी उभरने की संभावना है. श्री छेत्री ने कहा कि पहाड़ पर बेमियादी बंद की वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. खाने-पीने का घनघोर संकट है. उसके बाद भी बेमियादी बंद होने की संभावना दूर दूर तक नहीं है. पहाड़ के लोगों में यह घर कर गयी है कि चाहे जितना भी कष्ट सहना पड़े वे लोग अलग राज्य गोरखालैंड लेकर रहेंगे.