जूट को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की पहल
कोलकाता: क्षक फाउंडेशन की ओर से गोल्डेन फाइबर के रूप में प्रसिद्ध, जूट के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अभिनव प्रयास आरंभ किया गया है. फाउंडेशन के प्रयास को गति देने के लिए राज्य के कारागार विभाग के निदेशालय ने अपना हाथ बढ़ाया है. सोमवार को इंडियन काउंसिल आॅफ कल्चरल रिसर्च […]
कोलकाता: क्षक फाउंडेशन की ओर से गोल्डेन फाइबर के रूप में प्रसिद्ध, जूट के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अभिनव प्रयास आरंभ किया गया है. फाउंडेशन के प्रयास को गति देने के लिए राज्य के कारागार विभाग के निदेशालय ने अपना हाथ बढ़ाया है.
सोमवार को इंडियन काउंसिल आॅफ कल्चरल रिसर्च (आइसीसीआर) में एक समाराेह का आयोजन कर इसका विधिवत शुभारंभ किया गया जिसमें डीजी (आइजीपी) अरुण कुमार गुप्ता, नामचीन गायिका उषा उत्थुप, मॉडल व अभिनेत्री सुचित्रा वानिया, विशप राजू, अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर बलवीर सिंह व रक्षक फाउंडेशन की चैताली दास शामिल थे.
इस कार्यक्रम में कैदियों के बनाये जूट के विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी. उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की पहचान इस प्राकृतिक रेशे से जुड़ी है. देश का सबसे अधिक जूट उत्पादन भी इसी राज्य में होता है. इसके बाद भी इस प्राकृतिक रेशे के उत्पादन व विपणन से जुड़े लाेगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. जूट के उत्पादों की पूरे विश्व में भारी मांग है.
रक्षक फाउंडेशन की चैताली दास ने बताया कि उनका उद्देश्य समाज के हाशिये पर पड़े तबके को राेजगार दिलाना है.