अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार के लिए नयी पहल
कोलकाता. सभी विश्वविद्यालयों में रिसर्च की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की. इस क्रम में जादवपुर यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रोग्राम के लिए दाखिला के नियमों में बदलाव किया जा रहा है. अनुसंधान कार्यों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशेष योजना बनायी जा रही है. इस विषय में यूनिवर्सिटी […]
कोलकाता. सभी विश्वविद्यालयों में रिसर्च की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की. इस क्रम में जादवपुर यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रोग्राम के लिए दाखिला के नियमों में बदलाव किया जा रहा है. अनुसंधान कार्यों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशेष योजना बनायी जा रही है. इस विषय में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. सुरंजन दास ने बताया कि इसके लिए ड्राफ्ट प्रस्ताव सभी फैकल्टी को एक लिखित सूचना के साथ भेज दिया गया है.
पीएचडी के लिए इंजीनियरिंग, साइंस, ह्यूमनिटीज व इंटर डिसिप्लिनरी स्टडीज के क्षेत्र में दाखिले प्रक्रिया के लिए कुछ क्राइटेरिया बदले गये हैं. इसको डॉक्टोरल (पीएचडी) कमेटी ने स्वीकार किया है. पीएचडी के आवेदकों के मूल्यांकन के लिए प्रवेश टेस्ट इंटरव्यू मुख्य रूप से शुरू किया गया है.
यूजीसी के नियम मानते हुए विश्वविद्यालयों को पीएचडी परीक्षार्थियों के लिए प्रवेश परीक्षा संचालित करनी होगी. सभी चारों फैकल्टी को इसकी रूपरेखा स्पष्ट करने के लिए कहा गया है. इस श्रेणी में 100 मार्क्स की प्रवेश परीक्षा नेट, गेट, स्लेट अनिवार्य होती है. वर्तमान में केवल जादवपुर यूनिवर्सिटी ही पीएचडी प्रोग्राम के लिए सेलेक्शन इंटरव्यू करवाती है. फैकल्टी नेट, गेट, स्लेट छात्रों के लिए इसको बदलना नहीं चाहती है.
इस श्रेणी के लिए टेस्ट फैकल्टी एक अलग तरह का मल्टीपल च्वॉइस प्रश्न के आधार पर दाखिला लेना चाहती है. बाद में इन आवेदकों का प्रवेश इंटरव्यू लिया जायेगा. इंजीनियरिंग फैकल्टी चाहती है कि पीएचडी करनेवाले को कम से कम सात व अधिकतम 16 क्रेडिट प्वाइंट्स, एक साल के कोर्स वर्क के दाैरान व थीसिस लिखने से पहले मिलने चाहिए. यूजीसी गाइडलाइन के आधार पर यूनिवर्सिटी के पास रिसर्च वर्क बढ़ाने के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है.