बालूरघाट:सड़कों पर लोगों का चलना हुआ मुश्किल, पेयजल परियोजना ने बढ़ायी लोगों की परेशानी

बालूरघाट: रक्षा में हत्या की कहावत मशहूर है. वैसे देश में अनियोजित विकास से आमजनों को होने वाले उदाहरण अनगिनत हैं. उन्हीं में शुमार है, दक्षिण दिनाजपुर जिला सदर बालूरघाट के रहने वालों की व्यथा. जिन पाइपों को घर-घर पेयजल पहुंचाने के लिये बिछाया जा रहा है उनके चलते सड़कों पर चलना दूभर हो गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2017 8:32 AM
बालूरघाट: रक्षा में हत्या की कहावत मशहूर है. वैसे देश में अनियोजित विकास से आमजनों को होने वाले उदाहरण अनगिनत हैं. उन्हीं में शुमार है, दक्षिण दिनाजपुर जिला सदर बालूरघाट के रहने वालों की व्यथा. जिन पाइपों को घर-घर पेयजल पहुंचाने के लिये बिछाया जा रहा है उनके चलते सड़कों पर चलना दूभर हो गया है.

धूप में धूल उड़ती है तो बारिश में कीचड़ पार कर पैदल यात्रा काफी महंगा सौदा हो रहा है. यह हाल है, शहर के उत्तमाशा,व्रती संघ, हाई स्कूल,जिला स्वास्थ्य विभागीय कार्यालय, अभियात्री संघ इलाके के निवासियों का, जिनमें इस समस्या से क्षोभ बढ़ता जा रहा है. आरोप है कि पाइप बिछाने के लिये खोदी गयी सड़कों को जैसे तैसे भरकर खानापूर्ति की जा रही है. नतीजा है कि पेयजल तो दूर की बात, अब पैदल चलना भी भारी पड़ रहा है.

उल्लेखनीय है कि साल 2010 में वाम संचालित बालुरघाट नगरपालिका ने शहर के घर-घर तक पेयजल पहुंचाने की परियोजना शुरु करने का फैसला लिया. इसके लिये 41 करोड़ 7 लाख रुपए मंजूर किये गये. संपूर्ण परियोजना का दायित्व जवाहरलाल नेहरु नेशनल अरबन रिन्यूअल मिशन को सौंपा गया. लेकिन काम चालू होने के दो साल बाद भी काम पूरा नहीं हुआ. आत्रेई नदी से पानी को परिशुद्ध कर उसे घर-घर तक पहुंचाने का काम तीन चरणों में शुरु किया गया. अन्य सभी काम पूरा होने के बावजूद पाइप बिछाने का काम बाकी है. पिछले एक साल से पाइप बिछाने का काम शहर के 25 वार्ड में चल रहा है. लोक निर्माण विभाग की आपत्ति के चलते मिशन को सड़कों को खोदकर उसमें पाइप बैठाना पड़ रहा है. लेकिन मौसम प्रतिकूल होने से इस काम में बाधा आ रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि काम को जैसे तैसे निपटाया जा रहा है. इसी से समस्या हो रही है. पैदल चलने में कठिनाई के अलावा दुर्घटना की आशंका रहती है. स्थानीय निवासी कार्तिक दास व विप्लव मंडल ने कहा, टेंडर नहीं होने के चलते गड्ढा खोदने के बाद तुरंत काम नहीं हो रहा है. किसी तरह मिट्टी दबाकर रख दिया जा रहा है.
बालुरघाट की पूर्व चेयरपर्सन और वामो पार्षद सुचेता विश्वास ने बताया, वर्तमान टीएमसी नीत बोर्ड इस परियोजना में अनियोजित तरीके से बेहिसाब खर्च कर रही है. इसके चलते परियोजना की लागत दोगुणी हो गई है. वामो इसके खिलाफ फिर से आंदोलन करेगा. वहीं, वर्तमान चेयरमैन इन काउंसिल शंकर दत्त ने कहा, सड़क पर डाली गई मिट्टी बैठ जाये इसका इंतजार है. विकास के लिये शहरियों को थोड़ा इंतजार करना होगा.

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