सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर के प्रमुख रिहाइशी इलाकों में से एक हाकिमपाड़ा में कई प्लॉट खाली या परित्यक्त अवस्था में पड़े हुए हैं. इन प्लॉटों में कच्चू, ढेकी और तरह-तरह के पेड़-पौधों का जंगल उगा हुआ है. बारिश के मौसम में इनमें पानी भर जाता है, जो पेड़-पौधों के कारण दूर से तो नजर नहीं आता, पर नीचे मच्छरों का बसेरा रहता है. साफ पानी जमा होने के कारण इनमें डेंगू के मच्छर भी खूब पनपते हैं. एक तरफ सिलीगुड़ी नगर निगम डेंगू विरोधी अभियान में जुटा हुआ है, तो दूसरी तरह इस तरह के प्लॉट उसके अभियान की हवा निकाल रहे हैं.
नगर निगम के कर्मचारी कभी-कभी खाली पड़े प्लॉटों की सफाई करने के लिए आते हैं, पर वह कच्चू, ढेकी आदि को काटकर अपने काम को पूरा समझ लेते हैं. लेकिन यह ऐसे पौधे हैं जो पांच से 10 दिन के अंदर ही दोबारा उग कर बड़े हो जाते हैं. जब तक इन पौधों को जड़ से नहीं खोदा जायेगा, कोई लाभ नहीं होने वाला.
दुर्गा पूजा में चंद दिन ही बचे हैं, लेकिन बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है. आये दिन होने वाली बारिश से इन प्लॉटों में पानी हमेशा जमा रहता है. ये प्लॉट डेंगू के मच्छरों की नर्सरी बने हुए हैं. हाकिमपाड़ा में शहर के अन्य इलाकों के मुकाबले अधिक साफ-सफाई होने के बावजूद डेंगू का प्रकोप चरम पर है. इसके लिए इस तरह के प्लॉट भी कम जिम्मेदार नहीं हैं.
नगर निगम द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए चलायी जा रही मुहिम के तहत बंटवाये जा रहे पर्चों में कहा गया है कि जिनकी जमीन पर जल जमाव रहेगा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. लेकिन किसी खाली या परित्यक्त जमीन मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई की गयी हो, ऐसी कोई जानकारी नहीं है. हाकिमपाड़ा के वार्ड नंबर 15 और 16 की सीमा पर स्थित विवेकानंद हाइस्कूल के सामने एक विशाल प्लॉट में बारहों महीने कच्चू का जंगल उगा रहता है. इसमें जलभराव भी होता है. इसके अलावा आसपास के लोग अपने घरों का कचरा और टूटे फूटे सामान भी फेंक देते हैं. कुल मिलाकर यह प्लॉट डेंगू के मच्छरों के पनपने के लिए एक आदर्श जगह है. एक स्कूल के सामने निगम की इस तरह की लापरवाही हैरत में डालती है. डेंगू पर नियंत्रण के लिए ब्लीचिंग पाउडर आदि के छिड़काव के साथ इस तरह के प्लॉटों को मच्छरों से मुक्त करना बेहद जरूरी है.