गतिरोध बरकरार: सर्वदलीय बैठक से निराश हुए पहाड़ के लोग, बेमियादी बंद खत्म होने के आसार नहीं, लोगों में रोष
दार्जिलिंग : गोरखालैंड की समस्या को लेकर सिलीगुड़ी के उत्तरकन्या में आयोजित बैठक से दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के लोग काफी निराश है. इस बैठक का परिणाम एक तरह से कुछ भी नहीं निकला है. पिछले महीने 29 तारीख को नवान्न में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी, तब भी कोई हल नहीं निकला […]
दार्जिलिंग : गोरखालैंड की समस्या को लेकर सिलीगुड़ी के उत्तरकन्या में आयोजित बैठक से दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के लोग काफी निराश है. इस बैठक का परिणाम एक तरह से कुछ भी नहीं निकला है. पिछले महीने 29 तारीख को नवान्न में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी, तब भी कोई हल नहीं निकला था. इसको लेकर 12 तारीख को उत्तरकन्या में एकबार फिर से सर्वदलीय बैठक करने का निर्णय लिया गया था.
इसी बैठक पर दार्जिलिंग के साथ ही कालिम्पोंग, कर्शियांग, मिरिक सहित पूरे पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की निगाहें टिकी हुई थी. दिन में करीब तीन बजे बैठक होने की बात थी. सभी लोगों की निगाहें खास कर पहाड़ के लोगों की निगाहें उत्तरकन्या से मिलनेवाली समाचार पर टिकी हुई थी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने जब संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए साफ साफ कहा कि गोरखालैंड मुद्दे को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है, तो यह सुनते ही पहाड़ के लोग निराश हो गये.
उसके बाद से ही पहाड़ पर बेमियादी बंद खुलने को लेकर असमंजस की स्थिति बन चुकी है. सिर्फ पहाड़ के लोग ही नहीं बल्कि सिलीगुड़ी सहित समतल क्षेत्र के लोग भी उत्तरकन्या पर टकटकी लगाये हुए थे. पहाड़ बंद का नुकसान सिर्फ दार्जिलिंग के लोगों को ही नहीं बल्कि सिलीगुड़ी एवं समतल क्षेत्र के लोगों को भी उठाना पड़ रहा है. सिलीगुड़ी शहर की पूरी अर्थ व्यवस्था चौपट हो गयी है. दुर्गापूजा सामने है, उसके बाद भी बाजार में रौनक नहीं है. यहां के लोगों का कहना है कि एक बार बंद खत्म हो तभी पहाड़ के लोग खरीदारी के लिए सिलीगुड़ी आयेंगे और यहां की अर्थ व्यवस्था में सुधार होने के आसार है. दूसरी तरफ, दार्जिलिंग के लोग आज की बैठक से काफी निराश हैं. दार्जिलिंग के रहनेवाले संजय राई ने बताया कि राज्य सरकार तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहाड़ की समस्या का समाधान ही नहीं करना चाहती. इसलिए केंद्र सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है. श्री राई ने नाराजगी जताते हुए कहा यदि राज्य सरकार के साथ बैठक में गोरखालैंड पर बात ही नहीं होती तो भला अलग गोरखालैंड राज्य कहां से बनेगा. कुछ इसी तरह की बातें अर्जून तमांग ने भी कही. अर्जून तमांग ने कहा कि 90 दिनों से भी अधिक समय से पहाड़ बंद है.
यहां के लोगों को कितनी परेशानी हो रही है, इसका अंदाजा मुख्यमंत्री को नहीं है. पहाड़ के अन्य युवा भी सीधे तौर पर गोरखालैंडकी मांग पर बातचीत नहीं होने से काफी नाराज है. इन युवाओं का कहना है कि वर्तमान का आंदोलन किसी पार्टी की नहीं बल्कि पहाड़ की जनता की है. इसबार आर-पार की लड़ाई है. अलग राज्य से कम पर वह लोग कोई समझौता नहीं करेंगे. केंद्र सरकार द्वारा खामोशी बरतने पर भी युवाओं ने नाराजगी जतायी. ऐसे लोगों का कहना था कि केंद्र सरकार गोरखालैंड को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता शुरू भी कर दें, तो पहाड़ पर बेमियादी बंद खत्म कर देंगे. आज की बैठक में कोई समाधान नहीं निकलने से पर्यटन कारोबारियों को भी काफी निराशा हुई है. हर साल ही दुर्गापूजा के समय पहाड़ पर पर्यटन का कारोबार उफान पर होता है.
भारी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक दार्जिलिंग घुमने आते हैं. तीन महीने से जारी बेमियादी बंद ने पर्यटन कारोबारियों की कमड़ तोड़ दी है. सिलीगुड़ी के प्रमुख टूर ऑपरेटर सम्राट सान्याल का कहना है कि सिर्फ पहाड़ के लोग ही नहीं समतल के लोग भी बंद से परेशान हैं. उन्हें भी इस बैठक में बंद खत्म होने की उम्मीद थी. अब देखना है कि मुख्यमंत्री की इस बैठक के बाद गोजमुमो का क्या रूख होता है.
बेहतर तो यही होगा कि पहाड़ पर बेमियादी बंद खत्म हो जाए. दूसरी ओर, मंगलवार को भी गोरखालैंड की मांग को लेकर पहाड़ पर धरना प्रदर्शन का दौर जारी रहा. कालिम्पोंग में आज भी बड़ी रैली निकाली गयी. पुलिस ने ऐसे रैली-प्रदर्शन आदि करने पर रोक लगा रखी है. उसके बाद भी भारी संख्या में लोग अपने-अपने घरों से निकलें और रैली निकाली. ये लोग वी वांट गोरखालैंड के नारे लगा रहे थे. दूसरी ओर, सरकार तथा पुलिस द्वारा बंद खत्म कराने की तमाम कोशिशें की जा रही है. मंगलवार को भी कुछ बैंक खुले रहे. एनबीएसटीसी बसों की भी आवाजाही रही. बैंकों में ग्राहक नहीं आ रहे हैं. बसें भी खाली-खाली चल रही है.