संत साहित्य के मर्मज्ञ प्रो भोलानाथ मिश्र का निधन
बोलपुर. दुर्गापुर के निजी अस्पताल में चल रहे इलाज के दौरान विश्व भारती यूनिवर्सिटी (शांतिनिकेतन) के विशिष्ट अध्यापक प्रो. भोलानाथ मिश्र (1936-2017) का देहावसान हो गया. वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. प्रो. मिश्र ने शांतिनिकेन के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद से अवकाश ग्रहण किया था. मूलत: चित्रकूट (करबी) के […]
बोलपुर. दुर्गापुर के निजी अस्पताल में चल रहे इलाज के दौरान विश्व भारती यूनिवर्सिटी (शांतिनिकेतन) के विशिष्ट अध्यापक प्रो. भोलानाथ मिश्र (1936-2017) का देहावसान हो गया. वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे.
प्रो. मिश्र ने शांतिनिकेन के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद से अवकाश ग्रहण किया था. मूलत: चित्रकूट (करबी) के निवासी प्रो. मिश्र इलाहाबाद होते हुए 1952-53 में शांतिनिकेतन पहुंचे और तब से आजीवन शांतिनिकेतन में ही रहे. इलाहाबाद में उन्होंने एमए की पढ़ाई की थी और वहां डॉ राम कुमार वर्मा के प्रिय शिष्य रहे.
वे शांतिनिकेतन में शोधअध्येता के रूप में आये और उन्होंने यहां आजीवन अध्यापन कार्य किया. उन्हें विश्वभारती के श्रीनिकेतन और शांतिनिकेतन दोंनों की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी थी. उनके अध्यापन कार्य की शुरूआत श्रीनिकेतन से हुई और बाद में हिंदी विभाग, विश्वभारती के अध्यक्ष पद को भी सुशोभित किया. वे बंगाल के विशिष्ट हिंदी अध्यापक थे और शांतिनिकेतन में उन्होंने आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और प्रो. राम सिंह तोमर की परंपरा को आगे बढाया.
कोलकाता के विद्वानों से विशेषत: आचार्य विष्णुकांत शास्त्री एवं आचार्य कृष्ण बिहारी मिश्र से उनका विशेष स्नेह संबंध था. वे भक्ति साहित्य के विशिष्ट अध्येता थे. उन्होंने संत साहित्य के सामाजिक पक्ष का विशेष अध्यन प्रस्तुत किया. अपने अध्यापन कार्य के दौरान उन्हें श्रीनिकेतन की गतिविधियों से जुड़ने का विशेष अवसर प्राप्त हुआ. उनसे वार्तालाप के दौरान उनके श्रीनिकेतन और शांतिनिकेतन विषयक विशेष ज्ञान का पता चलता था.
विश्वभारती की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ शकुंतला मिश्र, जो प्रोफेसर मिश्र की शिष्या थी, ने बताया कि प्रो. भोलानाथ मिश्र के जाने से विश्वभारती के हिंदी विभाग की अपूरणीय क्षति हुई है. उनके परामर्श से विभाग को सर्वदा सहायता मिलती रही है.
हिंदी विभाग के प्रो. रविंद्र नाथ मिश्र, जिन्होंने प्रो. भोलानाथ मिश्र के निर्देशन में हिंदी, ओडिया भक्ति साहित्य पर शोध कार्य किया था, ने बताया कि वे स्नेहशील अध्यापक थे. प्रो. हरिशचंद्र मिश्र, प्रो. रामेश्वर मिश्र एवं प्रो. मंजूरानी सिंह ने भी एक सहृदय अध्यापक, कुशल वक्ता, सुदक्ष प्रशासक के रूप में उनकी प्रशंसा की और बताया कि उनके सानिध्य में रहकर वे उपकृत हुए हैं. अवकाश ग्रहण करने के पश्चात उन्होंने शांतिनिकेतन में ही अपना आवास बनाया. उनके दो पुत्र और तीन पुत्री थी. जिनमें एक पुत्री और एक पुत्र का पहले ही आकस्मिक निधन हो गया.