दार्जीलिंग : अलग गोरखालैंड के लिए चल रहा आंदोलन 104 दिन बाद खत्म तो हो गया, लेकिन साढ़े तीन महीने की लगातार बंदी ने यहां के चाय बागानों को 500 करोड़ रुपये की चपत लगा दी. चाय बागान मालिकों के संगठन ने यह जानकारी दी है.
दार्जीलिंग की पहाड़ियों में गोरखालैंड समर्थक नेताअों के आह्वान पर 15जून, 2017 से जनजीवन ठप हो गया था. मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की पहल पर बुधवार की सुबह 6 बजे से यह आंदोलन वापस ले लिया. इसके साथ ही पहाड़ों की रौनक लौट आयी.
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बताया जाता है कि बंद की वजह से 87 चाय बागानों के करीब 90,000 कर्मचारियों की आजीविका संकट में आ गयी थी. दार्जीलिंग टी एसोसिएशन का दावा है कि इसकी वजह से चाय उद्योग को 100 दिन में कम से कम 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
हड़ताल वापसी के फैसले का स्वागत करते हुए टी एसोसिएशन ने कहा है कि चाय बागान भी जल्द ही फिर से खुल जायेंगे. चाय बागानों में काम शुरू हो जाने से इसमें काम करनेवाले कामगारों को भी फायदा होगा.
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इतना ही नहीं, उद्योग जगत का मानना है कि दुर्गा पूजा और दीपावली के अलावा आनेवाले वर्षांत की छुट्टियों के दौरान पर्यटन उद्योग की भी रौनक लौट आयेगी. ज्ञात हो कि दार्जीलिंग की अर्थव्यवस्था चाय बागानों के अलावा पर्यटन उद्योग पर ही टिकी है.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि अलग गोरखालैंड आंदोलन की मांग पर भड़की हिंसा में 11 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इसके बाद आंदोलन तेज हो गया और पर्यटकों को जबरन दार्जीलिंग छोड़ने के लिए मजबूर किया गया.
आंदोलनकारियों ने उन लोगों को भी दार्जीलिंग छोड़ने के लिए मजबूर किया, जिन्होंने उनके आंदोलन का समर्थन देने से मना कर दिया था.