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48 घंटे में हाजिर हों कार्यालय में

रानीगंज : रानीगंज थाना अंतर्गत एगरा में प्रचार के दौरान हुए विवाद और मारपीट के मामले में भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत की गयी शिकायत के साथ-साथ तीन मामलों की जांच में पूछताछ के लिए पुलिस ने 48 घंटों के भीतर श्री सुप्रियो को थाने में हाजिर होने का निर्देश […]

रानीगंज : रानीगंज थाना अंतर्गत एगरा में प्रचार के दौरान हुए विवाद और मारपीट के मामले में भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत की गयी शिकायत के साथ-साथ तीन मामलों की जांच में पूछताछ के लिए पुलिस ने 48 घंटों के भीतर श्री सुप्रियो को थाने में हाजिर होने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा है कि वे गुरुवार की संध्या पुलिस के समक्ष उपस्थित होंगे. इस मामले को राजनीतिक हलकों में काफी गंभीरता से लिया जा रहा है. तीन नोटिस 15 अप्रैल को जारी की गयी है.

फ्लैश बैक में कहानी

बीते 12 अप्रैल को भाजपा प्रार्थी श्री सुप्रियो चुनाव प्रचार के लिए एगरा गांव में गये थे. आरोप है कि ग्रामीणों से संपर्क के दौरान तृणमूल समर्थकों ने उनके कार्यकत्र्ताओं पर हमला किया तथा बुरी तरह से पिटाई की. कर्मियों को बचाने गये श्री सुप्रियो के साथ भी मारपीट की गयी. इस संबंध में उन्होंने तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष सह रानीगंज पंचायत समिति के अध्यक्ष डॉ सेनापति मंडल व उनके पुत्र बापी मंडल को आरोपी बनाया गया था. इस संबंध में दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज करायी थी. डॉ मंडल ने कहा था कि श्री सुप्रियो हथियारों से लैस होकर प्रचार कर रहे थे. मारपीट के खिलाफ भाजपा कर्मियों ने एनएसबी रोड जाम किया था. इस संबंध में पुलिस ने श्री सुप्रियो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

क्या कहना है सुप्रियो का

श्री सुप्रियो ने कहा कि सत्ताशीन तृणमूल उनकी बढ़ती लोकप्रियता और अपनी हार देख कर घबड़ा गयी है. उनके पास अस्त्र रखे जाने का आरोप निराधार है. इससे पूर्व भी टीएमसी की पहल पर उनके खिलाफ शराब सेवन कर मंदिर में जाने की शिकायत दर्ज करायी गयी थी. उस आरोप में उन्हे क्लीन चिट मिल गयी है. उन्होंने कहा कि बुधवार को उनका कोलकाता लौटना जरूरी है. वे गुरुवार की संध्या रानीगंज के इंस्पेक्टर श्री दास से मिलेंगे तथा अपना पक्ष रखेंगे. उन्होंने कहा था कि पुलिस की भूमिका को लेकर कई प्रश्न उठ रहे हैं.

एगरा में जिन तीन हमलावर टीएमसी कार्यकर्ताओं को पकड़कर पुलिस के हवाले किया था उन्हे पुलिस अधिकारियों ने छोड़ दिया. उनपर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी? मदद करनेवाले पुलिस कर्मी पर क्या कार्रवाई की गयी? जहांतक रोड जाम करने का मुद्दा है, उन्होंने कर्मियों को समझा-बुझा कर सड़क खाली कराया था. उलटे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी. पुलिस सत्ताशीन पार्टी के इशारे पर कार्य कर रही है. यह कैसा गणतंत्र है?

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