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दार्जीलिंग, कलिम्पोंग से बलों की वापसी पर सुप्रीम कोर्ट में 27 को होगी सुनवाई

नयी दिल्ली/कोलकाता :सुप्रीमकोर्ट पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग एवं कलिम्पोंग से सुरक्षा बलों की वापसी के संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया है. न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने कहा है कि मामले को 27 अक्तूबर के लिए सूचीबद्ध […]

नयी दिल्ली/कोलकाता :सुप्रीमकोर्ट पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग एवं कलिम्पोंग से सुरक्षा बलों की वापसी के संबंध में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया है. न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने कहा है कि मामले को 27 अक्तूबर के लिए सूचीबद्ध किया जायेगा.

केंद्र की ओर से पेश हुए वकील वसीम कादरी ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने दार्जीलिंग और कलिम्पोंग के अशांत इलाकों से सुरक्षा बलों की वापसी पर 17 अक्तूबर को रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि केंद्र को गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में बलों को तैनात करने की आवश्यकता है, जहां चुनाव होने हैं.

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कादरी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों और पूर्वोत्तर राज्यों में भी कुछ बलों को तैनात किये जाने की आवश्यकता है. केंद्र के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने पृथक राज्य की मांग को लेकर अशांति झेलने वाले दार्जीलिंग से केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैन्य बलों (सीएपीएफ) की वापसी पर 27 अक्तूबर तक रोक लगा दी थी.

अदालत ने 14 जुलाई को केंद्र को आदेश दिया था कि वह इन पहाड़ियों में पहले से उस समय मौजूद सीएपीएफ की 11 कंपनियों के अलावा चार अन्य कंपनियां वहां तैनात करे. पश्चिम बंगाल ने केंद्र को पत्र लिखकर सीएपीए की तैनाती को 25 दिसंबर तक के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया था, लेकिन उसे बताया गया कि मौजूदा 15 कंपनियों में से 10 कंपनियों को 15 अक्तूबर और शेष को 20 अक्तूबर को हटा दिया जायेगा.

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उन्होंने बताया कि केंद्र ने बाद में राज्य को सूचित किया था कि 15 अक्तूबर को जिन 10 कंपनियों को वापस बुलाने का प्रस्ताव रखा गया था, उनमें से महिला सीआरपीएफ जवानों की तीन कंपनियां 20 अक्तूबर तक वहां रहेंगी.

केंद्र सरकार के वकील ने दावा किया था कि दार्जीलिंग की पहाड़ियों में जुलाई की तुलना में हालात में सुधार हुए हैं, जब हाईकोर्ट ने अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया.

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