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अलीपुरद्वार: लोड शेडिंग के चलते बक्सा के 13 गांव प्रभावित

अलीपुरद्वार: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी होम-स्टे व्यवसाय इन दिनों संकट में है. वजह है कि पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से बक्सा पहाड़ के 13 गांव रात को लोडशेडिंग के चलते अंधेरे में डूबे रहते हैं. इसका सीधा असर पर्यटकों के लिये शुरू किये गये होम-स्टे व्यवसाय पर पड़ रहा है. आरोप है […]

अलीपुरद्वार: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी होम-स्टे व्यवसाय इन दिनों संकट में है. वजह है कि पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से बक्सा पहाड़ के 13 गांव रात को लोडशेडिंग के चलते अंधेरे में डूबे रहते हैं. इसका सीधा असर पर्यटकों के लिये शुरू किये गये होम-स्टे व्यवसाय पर पड़ रहा है. आरोप है कि पश्चिमबंग विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड का कार्यालय भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. नतीजतन पहाड़ के विकल्प के तौर पर जिन पर्यटकों ने डुवार्स को चुना था वे भी अब निराश हो रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि 2011 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल को स्विटजरलैंड बनाने का सपना देखा था और यहां की जनता को भी दिखाया था. उन्होंने सरकार बनाने के बाद उत्तर बंगाल के पर्यटन उद्योग का कायाकल्प करने के लिये कई योजनाएं शुरू की थीं, जिनमें एक होम-स्टे योजना थी. इसके तहत बेरोजगार युवा और महिलाएं अपने घर में ही सरकारी मदद से पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था करते थे. शुरु शुरु में यह योजना बेहद लोकप्रिय भी हुई. हालांकि बिजली जैसे बुनियादी ढांचे में कमजोरी के चलते बक्सा में होम-स्टे योजना पर ग्रहण लग सकता है.
उधर, विद्युत वितरण कंपनी के अलीपुरद्वार कार्यालय के अधिकारी ने कहा है कि वे इस मामले की खोजबीन कर जरूरी कदम उठायेंगे. विभाग के अलीपुरद्वार डिवीजनल कार्यकारी इंजीनियर शिव सरकार ने बताया कि अभी तक उनके पास लोडशेडिंग की कोई शिकायत नहीं मिली है. इसके बावजूद वे खोजबीन कर जरूरी कदम उठायेंगे. स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग के लोगों को सब कुछ पता होता है. लेकिन जब मीडिया उनसे मुखातिब होती है तो वे कार्रवाई की बात कहकर मामले को टाल जाते हैं. सवाल है कि पिछले 20 रोज से बक्सा क्षेत्र के 13 गांवों में बिजली कीह आपूर्ति नहीं है. तब यह कैसे हो सकता है कि इंजीनियर को इसकी जानकारी न हो. यदि वास्तव में उन्हें इसकी जानकारी नहीं है तो इसका मतलब यही है कि वे डुवार्स क्षेत्र पर नजर नहीं रख रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि यह भी एक वजह है कि आज डुवार्स इतना पिछड़ा है. उल्लेखनीय है कि बक्सा पहाड़ सैलानियों का शुरु से पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है.

यह क्षेत्र समुद्र की सतह से 2700 फीट उंचाई पर स्थित है. कालचीनी प्रखंड अंतर्गत राजाभातखावा ग्राम पंचायत के मातहत लेपचाखा, सदर बाजार, बक्सा फोर्ट, लालबाजार, चूनाभट्टी, ओसलुंग, तासीगांव मिलाकर कुल 13 पहाड़ी गांव हैं. इनमें से लेपचाखा गांव समुद्रतल से 3000 फीट की उंचाई पर स्थित है. इन पहाड़ी गांवों की आबादी तकरीबन 13 हजार है. सदर बाजार के निवासी और पेशे से प्राथमिक शिक्षक अनुप छेत्री ने बताया कि लेपचाखा में पिछले 20 रोज से बिजली नदारद है. इस वजह से स्कूली छात्र छात्राओं को काफी परेशानी हो रही है. इस बारे में बिजली विभाग में शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. बक्सा पहाड़ के 28 माइल इलाके के एक होम-स्टे के मालिक नकुल लामा ने कहा कि बिजली नदारद रहने से उन्हें होम-स्टे व्यवसाय चलाना बेहद मुश्किल हो गया है. एक दूसरे होम-स्टे के मालिक इंद्रशंकर थापा ने बताया कि लोडशेडिंग के चलते बक्सा पहाड़ में सैलानी नहीं रुकना चाहते.

शाम होते ही वे जयंती या राजाभातखावा चले जाते हैं. इससे होम-स्टे का व्यवसाय मार खा रहा है. गौरतलब है कि लगातार लोडशेडिंग के चलते सैलानियों और व्यवसायियों के अलावा ग्राम पंचायत का काम काज भी प्रभावित हो रहा है. बक्सा पहाड़ के स्थानीय ग्राम पंचायत सदस्य साहिल डुक्पा ने बताया कि बक्सा पहाड़ के सभी गांवों में इन दिनों शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. लेकिन विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं है.

इस संकट के बारे में बात करने पर राजाभातखावा ग्राम पंचायत की प्रधान और तृणमूल कांग्रेस की नेत्री रीना लामा ने कहा कि उन्होंने एक से अधिक बार बिजली विभाग को इसकी शिकायत की है. लेकिन उसके बाद भी विभाग ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया.

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