सरना धर्म को संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग

नागराकाटा: राजी पड़हा सरना 5वीं प्रार्थना सभा, भारत के आयोजन में नागराकाटा स्थित आदिवासी संस्कृति चर्चा केन्द्र में शनिवार से दो दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन का आज समापन हुआ. सम्मेलन में जलपाईगुड़ी, अलिपुरद्वार जिला के अलवा झारखंड से भी आदिवासी समुदाय के सदस्य उपस्थित थे. सम्मेलन के विषय में जानकारी देते हुए राजी पड़हा सरना प्रार्थना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2017 12:16 PM
नागराकाटा: राजी पड़हा सरना 5वीं प्रार्थना सभा, भारत के आयोजन में नागराकाटा स्थित आदिवासी संस्कृति चर्चा केन्द्र में शनिवार से दो दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन का आज समापन हुआ. सम्मेलन में जलपाईगुड़ी, अलिपुरद्वार जिला के अलवा झारखंड से भी आदिवासी समुदाय के सदस्य उपस्थित थे. सम्मेलन के विषय में जानकारी देते हुए राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीडी तिर्की ने बताया कि सरना धर्म प्रचार प्रसार और इसे संवैधानिक मान्यता दिलाने की मांग को लेकर यहां दो दिवसीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ.
डीडी तिर्की ने आरोप लगाया कि आज तक डुवार्स के आदिवासियों को उन्हें उनकी वास्तविक पहचान नहीं मिली. उनका संगठन सरना धर्म की मान्यता के लिए राज्य और केंद्र सरकार से मांग करेंगे. उन्होंने बताया कि हम आदिवासी प्रकृति के पुजारी है. प्रकृति ही हमारी देवी हैं. सरना धर्म आदिवासियों का मूल धर्म है. सरना को अलग धर्म के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए. उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सरना धर्म माननेवाले आदिवासियों की आबादी 79 लाख 57 हजार 704 है.

सरकारी नियमानुसार किसी धर्म की मान्यता के लिए जरूरी आबादी से सरना अनुयायियों की आबादी काफी ज्यादा है. कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी विकास परिषद के केन्द्रीय सह सचिव तेजकुमार टोप्पो ने बताया कि सरना धर्म आदिवासियों का एक धर्म है. इसे सरकारी मान्यता मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विकास परिषद की ओर से कई बार सरकार के समक्ष यह मांग रखी गई. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. सम्मेलन में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, भारत के राष्ट्रीय सलाहकार रेतो उरांव, उत्तर बंगाल रिजनल कमेटी के सभापति सिताराम कुजूर, राष्ट्रीय प्रचारिका दयामनी उरांव, कमली उरांव के उपस्थित रहने की जानकारी धीरज भगत ने दी है.

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