देश की लोक अदालत में अपनी तरह का पहला प्रयोग, ट्रांसजेंडरों ने निभायी जज की भूमिका

मालदा: देश में पहली बार तीन ट्रांसजेंडर सदस्यों ने लोक अदालत में लंबित कई मामले निपटाये. शनिवार को इन तीनों ने सुनवाई के बाद इसी रोज फैसले भी सुनाये. बतौर जज अपनी भूमिका पर देवी आचार्य, जिया दास और जय साहू ने गर्व महसूस करते हुए कहा कि इन मामलों में फैसला सुनाते समय महसूस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 10, 2017 11:22 AM

मालदा: देश में पहली बार तीन ट्रांसजेंडर सदस्यों ने लोक अदालत में लंबित कई मामले निपटाये. शनिवार को इन तीनों ने सुनवाई के बाद इसी रोज फैसले भी सुनाये. बतौर जज अपनी भूमिका पर देवी आचार्य, जिया दास और जय साहू ने गर्व महसूस करते हुए कहा कि इन मामलों में फैसला सुनाते समय महसूस हुआ कि कानूनी दांव-पेंचों को सुलझाना कितना मुश्किल होता है.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे देश के साथ मालदा में भी राष्ट्रीय लोक अदालत लंबित मामलों को निपटाने के लिए बैठी. इसके लिए आठ बेंच बनायी गयी थीं, जिनमें तीन ट्रांसजेंडरों को भी रखा गया था. इस दौरान तीनों ट्रांसजेंडर एडजुडिकेटरों ने फौजदारी से लेकर बैंक, विद्युत, मोटरबाइक दुर्घटना, दांपत्य विवाद व अन्य मामले निपटाये.

मालदा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की चेयरपर्सन सुतनुका नाग ने बताया कि आज लोक अदालत में तीन ट्रांसजेंडर सदस्यों को न्याय के आसन पर बैठाया गया. देश में यह इस तरह की पहली घटना है. तीनों ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ मामले निपटाये भी. उल्लेखनीय है कि अदालतों में मामले लंबे समय तक लंबित रहने से उन्हें लोक अदालतों के माध्यम से उनका त्वरित निष्पादन किया जाता है.

जिला विधिक सेवा के कार्यालय से संबद्ध ऑफिस मास्टर विक्रम राय ने बताया कि लोक अदालतों के माध्यम से भारी संख्या में मामलों का फैसला सुनाया जाता है. आज 2200 मामले निपटाये गये. इसके लिये हमने ट्रांसजेंडर वर्ग से तीनों को बैठाया है. दरअसल, ट्रांसजेंडरों के प्रति लोगों की धारणा को बदलने के लिय यह कदम उठाया गया है. लोक अदालत के सूत्र के अनुसार तीनों की मदद के लिये एक न्यायिक अधिकारी और एक अधिवक्ता नियुक्त किये गये थे.

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