सिलीगुड़ी: शहर को गंदगी व कचरे से मुक्त रखने के लिए सिलीगुड़ी नगर निगम ने स्विट्जरलैंड की एक संस्था आइसीएलइआइ के साथ मिलकर एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है. पूरे शहर का निरीक्षण करने के बाद इस संस्था ने निगम के वार्ड नंबर 2 और 17 में ‘शून्य कचरा परियोजना’ का काम शुरू किया है. इस परियोजना को लेकर मंगलवार को सिलीगुड़ी गर्ल्स हाइस्कूल में संस्था ने निगम के मेयर व मेयर परिषद सदस्यों (एमएमआइसी) को परियोजना से रूबरू कराया.
कचरा सफाई व गंदगी को लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम पर सवाल उठते रहे हैं. पाइपलाइन में लीकेज की वजह से शहर के विभिन्न भागों में पेयजल की समस्या प्रायः देखने को मिलती है. सड़कों पर जाम व प्रदूषण सिलीगुड़ी की मुख्य समस्या बन कर उभरी है. इन्हीं तीन समस्यायों के समाधान के लिए स्विट्जरलैंड की संस्था आइसीएलइआइ ने निगम को आश्वस्त किया है. पाइपलाइन में लीकेज होने के बाद उसे ढूंढ़ना काफी मुश्किल होता है. लीकेज को ढूंढ़ने के लिए अनुमान के अनुसार स्थान से गड्ढा खोदकर पाइप को चेक किया जाता है. लीकेज मिलने पर उसकी मरम्मत की जाती है. इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है. अब आइसीएलइआइ ने एक विशेष प्रकार की मशीन निगम को मुहैया करायी है. इस मशीन के सहारे बिना गड्ढा खोदे ही लीकेज का पता लगा लिया जाता है.
संस्था की परियोजना संचालक मोनालिसा सेन ने बताया सिलीगुड़ी के अलावा भी विश्व के कई शहरों में इस परियोजना को चलाया गया है. सभी जगह सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं. सिलीगुड़ी को कचरा शून्य बनाने का काम शुरू किया गया है. पहले कचरे को बायो-डिग्रेडबल और नॉन बायो-डिग्रेडेबल में बांट लिया जायेगा. फिर उसे रीसाइिकल किया जायेगा. इस परियोजना के सफल होने के बाद शहर की जाम की समस्या पर काम शुरू किया जायेगा.
अब कचरा रीसाइकिल करना ही उपाय : अशोक भट्टाचार्य
सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने बताया कि शहर के कचरे से डंपिंग ग्राउंड भर चुके हैं. आसपास के इलाके के लोगों का दुर्गंध से जीना हराम है. कचरा रखने का दूसरा स्थान भी नही मिल रहा है. फलस्वरूप अब कचरो को रीसाइिकल करने की जरूरत आन पड़ी है. स्विट्जरलैंड की संस्था ने शहर को कचरा शून्य करने का आश्वासन दिया है. पहले निगम के वार्ड नंबर 2 और 17 में इस परियोजना को शुरू किया जायेगा. निगम के कचरा सफ़ाई विभाग के मेयर परिषद सदस्य मुकुल सेन गुप्ता ने बताया कि शहर में प्रदूषण भी काफी फैल रहा है. सिलीगुड़ी जैसे छोटे शहर में दोपहिया, कार व अन्य मिलाकर रोजाना करीब 250 नयी गाड़ियां सड़क पर उतर रही हैं. प्रदूषण के लिए ग्रीन हाउस गैस पर भी नियंत्रण करना आवश्यक है.