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कलम-कॉपी की जगह बच्चों के हाथों में ईंट का सांचा

सीमा पार नेपाल में भारतीय बच्चे भट्ठों में कर रहे काम कूचबिहार व जलपाईगुड़ी जिलों के हैं ज्यादातर मजदूर खोरीबाड़ी. भारतीय क्षेत्र के बच्चे इन दिनों सीमा पार नेपाल के ईंट भट्ठों में मजदूरी करने को विवश हैं. जिन हाथों में कलम-कॉपी होनी चाहिए उन हाथों में मिट्टी और ईंट बनाने का सांचा है. सीमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2017 8:39 AM
सीमा पार नेपाल में भारतीय बच्चे भट्ठों में कर रहे काम
कूचबिहार व जलपाईगुड़ी जिलों के हैं ज्यादातर मजदूर
खोरीबाड़ी. भारतीय क्षेत्र के बच्चे इन दिनों सीमा पार नेपाल के ईंट भट्ठों में मजदूरी करने को विवश हैं. जिन हाथों में कलम-कॉपी होनी चाहिए उन हाथों में मिट्टी और ईंट बनाने का सांचा है.
सीमा पार नेपाल के झापा के अधिकांश ईंट भट्ठों में भारत के कूचबिहार, दिनहाटा, जलपाईगुड़ी क्षेत्र के भारतीय मजदूर अपने परिवार के साथ मज़दूरी करने आते हैं. उनके साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल रहते हैं. ये बच्चे भी मजदूरी करते नजर आते हैं. भद्रपुर से सटे अधिकांश भट्ठे भारतीय मजदूरों पर ही निर्भर रहते हैं.
नेपाल क्षेत्र में ईंट भट्ठा मजदूर नहीं मिलने के कारण प्रत्येक वर्ष भारतीय क्षेत्र से मजदूरों को बुलाया जाता है. काम करने आये मजदूर अपने संग बाल-बच्चों को भी लाते हैं. ये बच्चे पढ़ने के बजाय भट्ठों में मजदूरी करते नजर आते हैं. एक मजदूर ने बताया कि आर्थिक अवस्था ठीक नहीं रहने के कारण हमलोग सपरिवार ईंट भट्ठे में काम करने के लिए नेपाल आते हैं. यहां एक हजार ईंट बनाने के एवज में आठ सौ नेपाली रुपया दिया जाता है.
इस बारे में पूछे जाने पर झापा के एक ईंट उद्योग संचालक जे नेऊपाने ने दावा किया कि भट्ठों में बाल मजदूरी नहीं करायी जाती है. उन्होंने कहा कि बालक-बालिका के लिए उद्योग परिसर में शिक्षण संस्था संचालित की जाती हैं. वहीं इस बाबत महिला तथा शिशु कार्यालय पदाधिकारी उमा अधिकारी ने कहा कि हमलोगों को इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि ईंट उद्योग चलानेवाले बाल मजदूरी नहीं करवा सकते हैं. बच्चों के लिए उद्योग परिसर में शिक्षा देने की व्यवस्था करनी होगी. वह इस मामले को देखेंगी.

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