सिलीगुड़ी : हिंदी के प्रश्न पत्र में 25 अंक के सवाल आउट ऑफ सिलेबस
हिंदी के प्रश्न पत्र में 25 अंक के सवाल आउट ऑफ सिलेबस माध्यमिक. 50 हजार से ज्यादा परीक्षार्थियों का भविष्य दांव पर कोलकाता/सिलीगुड़ी : माध्यमिक परीक्षा के पहले दिन प्रथम भाषा हिंदी के प्रश्न पत्र में कुल 90 अंक के प्रश्नों में 25 अंक के सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से व गलत विकल्प के साथ […]
हिंदी के प्रश्न पत्र में 25 अंक के सवाल आउट ऑफ सिलेबस
माध्यमिक. 50 हजार से ज्यादा परीक्षार्थियों का भविष्य दांव पर
कोलकाता/सिलीगुड़ी : माध्यमिक परीक्षा के पहले दिन प्रथम भाषा हिंदी के प्रश्न पत्र में कुल 90 अंक के प्रश्नों में 25 अंक के सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से व गलत विकल्प के साथ आये. इससे परीक्षा दे रहे लगभग 50 हजार हिंदी भाषी परीक्षार्थियों के भविष्य व परीक्षा परिणाम को लेकर सवालिया निशान लग गया है. पाठ्यक्रम से बाहर के प्रश्न पूछे जाने पर विभिन्न स्कूलों में छात्रों ने परीक्षक का ध्यान आकर्षित किया और चिंता जतायी.
बाद में परीक्षकों ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का ध्यान आकर्षित किया. शाम में संवाददाता सम्मेलन में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली ने कहा कि उन्हें भी शिकायत मिली है.
कुछ प्रश्न पत्र पाठ्यक्रम से बाहर के आये हैं और परीक्षा कमेटी को शिकायतों से अवगत कराया गया है. परीक्षा कमेटी पूरे मामले की जांच कर रही है. परीक्षा की समाप्ति के बाद परीक्षा कमेटी इस पर विचार करेगी और उसके अनुसार निर्णय लेगी.
श्री गांगुली ने कहा कि प्रथम दिन परीक्षा पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही है व कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है, जबकि अभिभावकों व शिक्षकों ने पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गये प्रश्नों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि उत्तर पुस्तिका की जांच के दौरान छात्रों को गलत व पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गये प्रश्नों के पूरे अंक दिये जायें.
उल्लेखनीय है कि 1986 में गणित के प्रश्न पत्र में कई सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से आये थे. तत्कालीन बोर्ड ने पाठ्यक्रम से बाहर से पूछे गये प्रश्नों के लिए छात्रों को पूरे अंक ग्रेस के रूप में दिये थे.
सिलीगुड़ी से मिली खबर के अनुसार, परीक्षा के पहले दिन हिंदी भाषी परीक्षार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है. पाठ्यक्रम के बाहर से आये प्रश्नों की वजह से हिंदी भाषी परीक्षार्थियों को काफी परेशानी हुई है. अधिकांश परीक्षार्थियों ने पाठ्यक्रम के बाहर से आये प्रश्नों को छोड़ दिया है. प्रश्नपत्र में बोर्ड की ऐसी भूल से हिंदी भाषी परीक्षार्थियों में रोष भी है.
प्रश्न पत्र में कहानी ‘त्रिशंकु’, ‘कोसी का घटवार’ व ‘रजुअा’ से सवाल पूछे गये हैं. पांचवें नंबर में तीन में से दो प्रश्नों का उत्तर देने को कहा गया था. प्रत्येक प्रश्न के लिए पांच नंबर निर्धारित किये गये थे.
तीन प्रश्न इस प्रकार है- ‘त्रिशंकु’ कहानी के आधार पर ममी के चरित्र पर प्रकाश डालिए. दूसरा ‘कोसी का घटवार’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए और तीसरा रजुआ की चारित्रिक विशेषताएं बताइये. जबकि ये तीनों कहानी माध्यमिक के पाठ्यक्रम में नहीं है. इसके अलावे भी संक्षिप्त व दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में कई प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर के पूछे गये हैं.
माध्यमिक का एक छात्र अमित झा ने बताया कि प्रश्न पत्र देखकर ही उसका सर घूम गया. प्रश्न संख्या पांच में पूछे गये प्रश्न उसकी समझ से परे थे. ऐसी कहानी या पद्य उसने पाठ्यक्रम में पढ़ा ही नहीं. ऐसा ही वक्तव्य परीक्षा केंद्र से निकलने वाले अन्य हिंदी भाषी परीक्षार्थियों का रहा. परीक्षार्थियों ने प्रश्न पत्र बदल कर हिंदी की परीक्षा फिर से आयोजित कराने अथवा गलत प्रश्न के बदले परीक्षार्थियों को निर्धारित नंबर देने की मांग की है.
क्या कहते हैं विशेष उप सचिव: उत्तर बंगाल माध्यमिक शिक्षा पर्षद के विशेष उप सचिव प्रदीप विश्वास ने बताया कि हिंदी भाषा के प्रश्न पत्र में पाठ्यक्रम के बाहर से कई प्रश्न पूछे जाने की जानकारी उन्हें भी मिली है.
लेकिन कितने नंबर का प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से पूछा गया है यह अभी निर्धारित नहीं हुआ है. माध्यमिक शिक्षा पर्षद के परीक्षा कंट्रोल कमेटी के पास यह शिकायत भेज दी गयी है. पहले तो पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गये प्रश्नों का निर्धारण किया जायेगा. उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि किसी भी सूरत में परीक्षार्थियों को वंचित नहीं किया जायेगा. परीक्षार्थी अच्छे से आगे की परीक्षा दें. परीक्षार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा पर्षद इस विषय पर निर्णय लेगा.
बोर्ड ने परीक्षा कमेटी को सौंपी शिकायत
प्रश्न पत्र में ये प्रश्न
पाठ्यक्रम से बाहर के
पेज सं. प्रश्न संख्या अंक
2 1 (iii) 1
3 1 (vi) 1
5 1 (xv) 1
6 2 (vi, vii,x,xi) 4
9 3 खंड ख (ii) 3
9 4 खंड क (ii) 5
10 5 ( i, ii एवं iii) 10
कुल : अंक = 25
माध्यमिक के हिंदी के प्रश्न पत्र में यदि कोई गड़बड़ी हुई है या सिलेबस के बाहर का प्रश्न आया है, तो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पूरे मामले को देख रहा है और इस बाबत बोर्ड कार्रवाई करेगा. इस मामले में छात्रों के हित का पूरा ध्यान रखा जायेगा.
पार्थ चटर्जी, शिक्षा मंत्री, पश्चिम बंगाल सरकार.
हिंदी के कुल 90 अंक के पत्र थे. इसमें से लगभग 25 अंक के प्रश्न या तो सिलेबस के बाहर से आये हैं या फिर गलत विकल्प दिये गये हैं. यह अच्छा नहीं है. इससे हिंदी को प्रथम भाषा के रूप में चयन करने वाले छात्रों का परीक्षा परिणाम प्रभावित होगा. इस पर बोर्ड को गंभीरता से विचार करना चाहिए, ताकि परीक्षार्थियों का परीक्षा परिणाम प्रभावित नहीं हो.
भवानी शंकर सिंह, शिक्षक को-आर्डिनेटर, श्री जैन विद्यालय, कोलकाता.
क्या कहा बोर्ड अध्यक्ष ने
विभिन्न स्कूलों से शिकायत मिली है कि हिंदी के प्रश्न पत्र में कुछ प्रश्न सिलेबस के बाहर के आये हैं. बोर्ड को पूरी जानकारी मिली है. इन शिकायतों को परीक्षा समिति को भेज दिया गया है. परीक्षा समिति इन शिकायतों पर विचार करेगा और उसकी रिपोर्ट के अनुसार उस पर आगे कार्रवाई की जायेगी. परीक्षार्थियों को भी परीक्षा कक्ष में सूचित कर दिया गया था कि वे सिलेबस के बाहर के प्रश्न को ब्लैंक छोड़ दें (उत्तर न लिखें). उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में इस पहलू पर ध्यान दिया जायेगा.
कल्याणमय गांगुली, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
हर परीक्षार्थी पा सकता है 25 अंक !
सवाल विद्यार्थियों के भविष्य का है. 90 अंकों की परीक्षा में 25 अंक के सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से आ जाने से परीक्षार्थी सकते में हैं. अभिभावक भी खासे चिंतित हैं. पुराने शिक्षकों का कहना है कि 1986 में गणित के प्रश्न पत्र में कई सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से आये थे. तत्कालीन बोर्ड ने पाठ्यक्रम से बाहर से पूछे गये प्रश्नों के लिए छात्रों को पूरे अंक ग्रेस के रूप में दिये थे. इस बार भी बोर्ड ऐसा निर्णय ले सकता है. ऐसे में छात्रों को पाठ्यक्रम से बाहर से आये सवाल के पूरे अंक मिल सकते हैं.
एबीटीए ने खोला मोर्चा
ऑल बंगाल टीचर्स एसोसिएशन (एबीटीए) ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा पर्षद को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है. एबीटीए ने परीक्षार्थियों की मांग का समर्थन किया है. दार्जिलिंग जिला एबीटीए के अध्यक्ष तमाल चंद ने बताया कि यह परीक्षा परीक्षार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
पहला पेपर सही होने से उनका मनोबल बढ़ता है जिसका असर आगे की परीक्षाओं पर पड़ता है. इस बार हिंदी भाषी परीक्षार्थियों का पहला पेपर ही खराब हुआ है. पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गये प्रश्नों से परीक्षार्थी काफी परेशान हुए हैं. अधिकांश ने पाठ्यक्रम के बाहर से पूछे गये प्रश्नों को छोड़ दिया है. उन्होंने शिक्षा परिषद से मांग करते हुए कहा कि गलत प्रश्नों के एवज में परीक्षार्थियों को पूरा नंबर मिलना चाहिए.