दार्जिलिंग : कई माह से भूमिगत मोर्चा नेता विनीता आयीं सामने, विनय तमांग और अनित थापा में जताया विश्वास

बिना नाम लिये विमल गुरुंग के फैसलों को कोसा भाजपा पर धोखे का आरोप, कभी वोट न देने का आह्वान दार्जिलिंग : बीते साल गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पुलिस की धर-पकड़ शुरू होने के समय भूमिगत हुईं गोजमुमो प्रवक्ता विनीत रोका मंगलवार को अचानक सामने आयीं और पार्टी के बदले हुए नेतृत्व का समर्थन किया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2018 5:34 AM
बिना नाम लिये विमल गुरुंग के फैसलों को कोसा
भाजपा पर धोखे का आरोप, कभी वोट न देने का आह्वान
दार्जिलिंग : बीते साल गोरखालैंड आंदोलन के दौरान पुलिस की धर-पकड़ शुरू होने के समय भूमिगत हुईं गोजमुमो प्रवक्ता विनीत रोका मंगलवार को अचानक सामने आयीं और पार्टी के बदले हुए नेतृत्व का समर्थन किया. उन्होंने विनय तमांग और अनित थापा के नेतृत्व में आस्था जताते हुए पुराने सुप्रीमो विमल गुरुंग के फैसलों को जमकर कोसा. सितंबर 2017 तक विनीता प्रेस बयान जारी करके आंदोलन के दमन का जमकर प्रतिवाद करती रहीं, लेकिन इसके बाद पुलिस से बचने के लिए उन्होंने किसी गुप्त ठिकाने पर शरण ले ली थी. वह अपना घर-परिवार छोड़कर चली गयी थीं. उस वक्त विनीता रोका गोरखा जनमुक्ति नारी मोर्चा (गोजनामो) की दार्जिलिंग महकमा समिति की अध्यक्ष भी थीं.
दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में पत्रकारों को संबोधित करते हुए विनीता रोका ने कहा कि 104 दिन पहाड़ बंद के दौरान हुई भयानक अवस्था से विनय तमांग और अनित थापा ने ही पहाड़ की जनता को बचाने के लिए कदम उठाया था, जो प्रशंसनीय है. तीन महीने से अधिक के इस बंद में और आंदोलन में पहाड़ की जनता ने साथ दिया था, लेकिन गलत नेतृत्व के कारण पहाड़ की स्थिति भयानक हो गयी थी. यह कहते वक्त विनीता भावुक हो उठीं और उनकी आंखें भर आयीं.
इसके बाद खुद को संभालते हुए रुंधे गले से उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान मेरी तरफ से यदि कोई भूल-चूक हुई है तो पहाड़ की जनता और शहीदों के परिवार मुझे माफ कर दें.
विनीता ने कहा कि पिछले साल के आंदोलन की कोई कार्यनीति नहीं थी. विमल गुरुंग का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि मोहम्मद बिन तुगलक की तरह काम किये जाने से 13 लोग शहीद हो गये और पहाड़ की जनता को भयानक तकलीफ उठानी पड़ी. विनीता ने कहा : भाजपा ने ममता बनर्जी से अपनी राजनीतिक दुश्मनी का बदला लेने के लिए ममता के खिलाफ विमल गुरुंग को उकसाया. लेकिन जब पहाड़ की स्थिति भयानक हो गयी तो भाजपा चुप लगाकर बैठ गयी.
विनीता ने कहा : पहाड़ में इससे पहले भी आंदोलन हुए थे, लेकिन तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसने आन्दोलन को उग्र होने से पहले शांत करने लिए वार्ता एवं बैठक करके समस्या का समाधान किया था. सन 2011 में वार्ता के माध्यम से पहाड़ की समस्या के समाधान के लिए जीटीए के दस्तावेज पर समझौता हुआ था. इसी तरह से 2013 में भी पहाड़ में आन्दोलन हुआ था.
उस समय भी केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने वार्ता के माध्यम से पहाड़ को शांत किया था. भाजपा ने भारतीय गोरखाओं को सपना दिखाया, पर सपने को हकीकत में बदलने के लिए कभी कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यह खुलकर कह चुकी हैं कि गोरखालैंड केन्द्र सरकार का विषय है, लेकिन भाजपा की बहुमत की सरकार ने गोरखाओं के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने भाजपा को धोखेबाज की संज्ञा देते हुए भारतीय गोरखाओं का आह्वान किया कि अब किसी चुनाव में भाजपा को वोट नहीं दें.

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