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बंगाल : ड्रग्स तस्करी का ट्रांजिट प्वाइंट बना बंगाल, ओड़िशा, त्रिपुरा व मणिपुर से बड़े पैमाने पर होती है

मनोरंजन सिंह कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ड्रग्स की तस्करी के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ड्रग्स तस्कर गिरोह के लिए बंगाल ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है. दूसरे राज्यों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स लाकर तस्कर गिरोह इसे कोलकाता समेत पूरे बंगाल में सप्लाई करते हैं. सिर्फ कोलकाता ही नहीं, बल्कि पूरे […]

मनोरंजन सिंह

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ड्रग्स की तस्करी के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ड्रग्स तस्कर गिरोह के लिए बंगाल ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है. दूसरे राज्यों से बड़े पैमाने पर ड्रग्स लाकर तस्कर गिरोह इसे कोलकाता समेत पूरे बंगाल में सप्लाई करते हैं. सिर्फ कोलकाता ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल को तस्कर अपने खपत प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि ड्रग्स तस्कर गिरोह का मूल प्वाइंट बंगाल ही है.

गांजा और चरस की डिमांड सबसे ज्यादा

एनसीबी के मुताबिक पश्चिम बंगाल में गांजा और चरस की डिमांड सबसे ज्यादा देखी गयी है. ओड़िशा, मणिपुर और त्रिपुरा से आनेवाले कंसाइंमेंट में अब तक सबसे ज्यादा गांजा और चरस ही जब्त हुए हैं. कुछ महीने से नये-नये किस्म के ड्रग्स भी पकड़े गये हैं, जिनमें साइकोलसिबिन मशरूम, एमडीएमए/एक्सटसी, टैबलेट, प्रतिबंधित नशीली सिरप, इंजेक्शन, एलएसडी ब्लाट्स पेपर सहित अन्य कई तरह के सिंथेटिक ड्रग्स भी शामिल हैं.

नये-नये किस्म के ड्रग्सों की ओर बढ़ता रूझान

गांजा और चरस के डिमांड रहने के बावजूद इन दिनों बंगाल में सेंथेटिक ड्रग्स भी आने लगे हैं. हाल ही में कई मामले भी सामने आये. हाल ही में मशरूम पकड़ा गया. साथ ही दवा, इंजेक्शन समेत नये-नये किस्म के ड्रग्सों में एलएसडी ब्लाट्स पेपर, एमडीएमए/एक्सटसी जब्त किये गये.

बूप्रेनोरफिन इंजेक्शन, एसिटिक एनहाइड्राइड, ज़ोल्पीडेम/अल्प्राजोलम/नाइट्राज़ेपाम समेत कई टैबलेट बड़े पैमाने पर पकड़े गये. इसके अलावा कोकीन, हेरोइन/मॉरफीन, अफीम, हशीश, अफीम की भूसी भी जब्त किये गये हैं. वर्ष 2016 में मेथमफेटामाइन के 1400 टैबलेट और फिर 2017 में 4270 टैबलेट जब्त किये गये.

कूचबिहार और िसलीगुड़ी हैं हॉल्टिंग प्वाइंट

एनसीबी के मुताबिक बंगाल में खासकर गांजा और चरस के प्रवेश के पहले कूचबिहार और सिलीगुड़ी को हॉल्टिंग प्वाइंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. अगर मणिपुर और त्रिपुरा से गांजा आ रहा है, तो किसी भी तरह से उस कंसाइंमेंट को सिलीगुड़ी में प्रवेश करना ही है. तस्कर गिरोह चालाकी से कूचबिहार और सिलीगुड़ी के जरिये घुसते हैं और फिर रायगंज क्राॅस कर महानगर समेत बंगाल के विभिन्न इलाकों में ड्रग्स तस्करों के जरिये सप्लाई करते हैं.

नया हब बना रहा है कूचबिहार

एनसीबी का दावा है कि गांजा और चरस के मामले में कूचबिहार भी अब नया हब बनते जा रहा है. यहां से लोकल प्रोडक्शन भी ज्यादा होने लगे हैं और वहां से अन्य जगहों पर सप्लाई भी किये जाने लगे हैं.

बीते वर्षों में गिरफ्तारी और जब्त ड्रग्स

(जब्त ड्रग्सों में गांजा, चरस, अफीम, कोकीन, हेरोइन और अफीम की भूसी जैसे ड्रग्स शामिल)

साल मामले गिरफ्तारी जब्त ड्रग्स

2016 50 62 9745 किलो 975 ग्राम

2017 62 69 10461 किलोग्राम

2018 15 21 701 किलोग्राम

(31 मार्च तक)

पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, सिक्किम और अंडमान एंड निकोबार हमारे क्षेत्र अंतर्गत आते हैं. इन चार राज्यों में सबसे ज्यादा ड्रग्स प्रोडक्शन इन दिनों ओड़िशा में हो रहा है और वहां से सबसे ज्यादा सप्लाई बंगाल में किये जा रहे है.

ड्रग्स की सप्लाई के मामलों में खासकर गांजा और चरस जैसे ड्रग्स सप्लाई के लिए तस्कर बंगाल को ट्रांजिट प्वाइंट के तौर पर ही इस्तेमाल करते है. शुरू से ही वे बंगाल को अपना खपत प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है. एनसीबी की ओर से हमेशा से लेकर ही तत्परता बरती जा रही है. एनसीबी की तत्परता से धर पकड़ के कारण इन दिनों तस्करी में कुछ कमी आयी है.

दिलीप श्रीवास्तव, डॉयरेक्टर, कोलकाता (जोनल यूनिट) एनसीबी

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