बाढ़ में तबाह हो गया था स्कूल, तीन साल बाद भी तीन किमी दूर पढ़ाई के लिए जाने को मजबूर बच्चे

मयनागुड़ी : तीन साल पहले बाढ़ में विद्यालय पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. मजबूरन दूसरे स्कूल में पठन-पाठन कार्य चलाया जा रहा है. दोमहनी चात्रा प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के क्लास करने के लिए लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. प्रशासन के पास स्कूल भवन के लिए गुहार लगाने का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2018 3:12 AM

मयनागुड़ी : तीन साल पहले बाढ़ में विद्यालय पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था. मजबूरन दूसरे स्कूल में पठन-पाठन कार्य चलाया जा रहा है. दोमहनी चात्रा प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों के क्लास करने के लिए लगभग तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. प्रशासन के पास स्कूल भवन के लिए गुहार लगाने का कोई फायदा नहीं हुआ. हालांकि संबंधित विभाग से बताया गया है कि जल्द ही भवन निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा.

2015 में तीस्ता नदी में आये भयावह बाढ़ से मयनागुड़ी ब्लॉक के देमहनी चात्रा पाड़ इलाके के अनेक मकान बह गये थे. इसके साथ ही एकमात्र प्राथमिक विद्यालय भी तीस्ता के कहर से अछूता नहीं रहा. इलाके की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो गयी. लेकिन स्कूल भवन की मरम्मत आज तक संभव नहीं हो पाया. वह आज भी जर्जर हालत में पड़ा है. इस दौरान स्कूल का पठन-पाठन कार्य तीन किलोमीटर दूर प्रणवानंद मिलन विद्यापीठ में चल रहा है.
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि तीस्ता के बाढ़ में बासुसुबा पक्की सड़क से लेकर बांध तक सबकुछ बह गया था. तीन सालों में सड़कें तो बन गयी, लेकिन स्कूल भवन नहीं बना. विद्यालय सूत्रों से पता चला है कि तीन साल पहले स्कूल में 168 विद्यार्थी थे. जो घटकर आज 58 रह गये है. इलाके में स्कूल नहीं होने के कारण पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. मयनागुड़ी मंडल प्रभारी विद्यालय निरिक्षक मिताली भट्टाचार्य का कहना है कि विद्यालय के निर्माण के लिए कार्यवाही चल रही है. जल्द ही भवन निर्माण का काम शुरू किया जायेगा.

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